राजस्थान यूनिवर्सिटी में पुन मुल्यांकन (रिवैल्यूएशन) की मांग को लेकर गुरुवार को एडम ब्लॉक में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। इस दौरान नाराज छात्रों ने ब्लॉक में ताला लगा दिया। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस की टीम ने छात्रों को लाठियां माकर खदेड़ा। 12 छात्रों को हिरासत में लिया गया।
दरअसल, राजस्थान यूनिवर्सिटी में सुबह 11 बजे छात्र नेता शुभम रेवाड़ के नेतृत्व में बड़ी संख्या में छात्र प्रदर्शन करने पहुंचे थे। 11:30 पर छात्रों ने एडम ब्लॉक के मुख्य द्वार पर धरना शुरू कर दिया। इस दौरान कुछ छात्र एडम ब्लॉक में घुस गए। गेट पर ताला लगा दिया। इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा गांधीनगर पुलिस को मौके पर बुलाया गया।
पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को खदेड़ने के लिए हल्का बल प्रयोग किया। इसके बाद पुलिस की टीम ने एडम ब्लॉक में धरना दे रहे 12 छात्रों को हिरासत में ले लिया है। फिलहाल सभी छात्र गांधीनगर पुलिस स्टेशन में पुलिस हिरासत में है।
रिवैल्यूएशन के नाम पर चौथ वसूली की जा रही
छात्र नेता शुभम रेवाड़ ने बताया- राजस्थान यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा सालों से रिवैल्यूएशन के नाम पर चौथ वसूली की जा रही है। यूनिवर्सिटी प्रशासन के रिजल्ट में बड़ी संख्या में छात्रों को फेल कर दिया जाता है। इसके बाद जब छात्र रिवैल्यूएशन में अप्लाई करते हैं। तब उन्हें पास किया जाता है। इसमें छात्रों की किसी तरह की कोई गलती नहीं होती है। बल्कि, यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और अधिकारी - कर्मचारी ही इस तरह की लापरवाही करते हैं। इसका भुगतान भी छात्रों से वसूला जाता है। जो पूरी तरह गलत है।
छात्रों की जायज मांग को दबाने की कोशिश की गई
शुभम रेवाड़ ने बताया- इसको लेकर आज हम शांतिप्रिय तरीके से विरोध कर रहे थे। यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा हम पर लाठी चार्ज कर आम छात्रों की जायज मांग को दबाने की कोशिश की गई। हम दबने और डरने वाले नहीं है। हम एक बार फिर छात्रों की समस्या को लेकर बड़ा आंदोलन करेंगे। इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन जिम्मेदार होगा।
शुभम ने कहा- पिछले कुछ सालों से राजस्थान यूनिवर्सिटी का जब भी रिजल्ट आता है। उसमें लगभग 80-90% विद्यार्थियों को फेल कर दिया जाता है। कुछ सब्जेक्ट्स में बैक लगा दी जाती है। इसके बाद रिवैल्यूएशन के नाम पर गरीब छात्रों से 430 रुपए वसूले जाते हैं।
इसके बाद फेल होने वाले अधिकतर छात्रों को पास कर दिया जाता है। इससे साफ जाहिर होता है कि गलती यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों से ही हुई। इस पूरे काम में यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स और बड़े अधिकारी कर्मचारी भी शामिल है। इसी वजह से सालों से यह काला कारनामा चल रहा है। इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
वहीं, राजस्थान यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने कहा- रिवैल्यूएशन में हर बार प्रोफेसर्स की गलती नहीं होती है। कई बार छात्रों के नंबर बढ़ने की जगह कम भी हो जाते हैं। इसलिए इस तरह का आरोप लगाना गलत है। हालांकि कई बार छात्रों के नंबर बढ़ भी जाते हैं।
ऐसे में इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए हम भविष्य में इस पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया को डिजिटल करने के प्रसास कर रहे हैं। जिसके बाद बहुत जल्द राजस्थान यूनिवर्सिटी में पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया डिजिटल तौर पर शुरू हो जाएगी। जिससे आम छात्रों को इस तरह की समस्या से परेशान नहीं होना पड़ेगा।
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