जयपुर नगर निगम ग्रेटर के तत्कालीन आयुक्त महेन्द्र सोनी और उप नगर नियोजक (डीटीपी) अजय गोयल के खिलाफ रिश्वत लेकर नक्शे पास करने के आरोप लगे हैं। शिकायत के बाद नगर निगम ग्रेटर प्रशासन ने इसकी जांच शुरू करवा दी है। जांच के लिए डिप्टी कमिश्नर प्लानिंग (द्वितीय) को जांच अधिकारी, जबकि रेवेन्यू ऑफिसर हैडक्वार्टर को उपस्थापक अधिकारी नियुक्त किया है। इन दोनों से ये जांच सात दिन में पूरी करके देने के आदेश जारी किए हैं।
नगर निगम ग्रेटर की अतिरिक्त आयुक्त से जारी इन जांच आदेशों में बताया- बनीपार्क राममंदिर स्थित मिलिस्ट्री एरिया से लगते भूखंड संख्या ए-2, ए-3 एवं ए-6 (क्षेत्रफल 37561 वर्गमीटर) जमीन पर ग्रुप हाउसिंग की योजना का ले-आउट प्लान मंजूर किया गया।
इस ले-आउट प्लान को मंजूर करने से पहले न तो मिलिट्री (सेना) की अनुमति (एनओसी ली गई, न ही नगरीय विकास विभाग और हाईकोर्ट के आदेशों की पालना की गई। हाईकोर्ट ने सामरिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मिलिस्ट्री एरिया (बाउंड्रीवाल) से 100 मीटर की दूरी तक की दूरी पर निर्माण से पहले रक्षा मंत्रालय से अनुमति लेना जरूरी होता है।
नियमों को दरकिनार करते हुए इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी
तत्कालीन कमिश्नर महेन्द्र सोनी, डीटीपी अजय गोयल समेत अन्य अधिकारियों ने इस नियमों को दरकिनार करते हुए इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी। इसकी शिकायत जब रक्षा मंत्रालय के यहां हुई तो वहां से आदेश आने के बाद राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की जांच करने के आदेश दिए। सरकार के इन्ही आदेशों के बाद अब नगर निगम ग्रेटर ने इसकी जांच शुरू करवा दी है।
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