पंचायती राज संस्थाओं के जन प्रतिनिधियों ने 16 वें वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल के साथ अपनी मांगो और सुझावों को साझा करते हुए पंचायती राज संस्थाओं की अनुदान राशि बढ़ाने की मांग की है। वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने जनप्रतिनिधियों की मांगों एवं सुझावों पर कहा कि राजस्थान की पंचायती राज व्यवस्था देश में सबसे पुरानी व्यवस्था है। मुझे ख़ुशी है कि आप लोगों में जागरूकता है। ग्रामवासी भी मिलजुलकर ग्रामीण विकास सम्बंधी जरूरतों को पूरा करें। आप अपनी ग्राम पंचायत की वेबसाइट भी बनाएं।
आपकी मांगों और सुझावों पर अवश्य विचार किया जाएगा।
जनप्रतिनिधियों ने पौधारोपण के तहत लगाये जाने वाले पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड एवं नियमित देखभाल के लिए राशि उपलब्ध करवाने के साथ ही पंचायतों की निजी आय बढ़ाने के लिए फलदार एवं मेडिसिनल वृक्षों की उपज सम्बंधी प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने, अतिवृष्टि एवं ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में राहत के लिए अलग से राशि देने, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट व प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित करने, कचरा एकत्रित करने के लिए ट्रैक्टर की व्यवस्था करने, विद्युत बिल राशि की बचत के लिए सौर ऊर्जा पैनल लगवाने, अधिकतर क्षेत्र डार्कजोन में होने के कारण जल संरक्षण की व्यवस्था को प्रभावी बनाने के साथ ही पेयजल आपूर्ति के लिए गाईडलाइन जारी करने, अतिक्रमण हटाने के लिए
पंचायत समिति मुख्यालय पर जेसीबी की व्यवस्था करने, ग्राम पंचायत स्तर पर महिला स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सेनेटरी नेपकीन के उत्पादन व वितरण की व्यवस्था करने, अटल सेवा केन्द्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाने, प्रत्येक ग्राम पंचायत में डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करने की मांग की ।
पंचायती राज विभाग के शासन सचिव एवं आयुक्त रवि जैन ने सभी का स्वागत करते हुए बैठक की रुपरेखा पर पर प्रकाश डाला। उन्होंने जनप्रतिनिधियों के द्वारा दिये गए सुझावों एवं प्रतिनिधिमंडल के साथ समन्वय स्थापित करते हुए अपना पक्ष प्रभावी तरीके से रखा।
बैठक में वित्त आयोग सदस्य डॉ सोम्या कांत घोष, अजय नारायण झा, डॉ मनोज पांडा, सचिव रित्विक पांडे, संयुक्त सचिव के. के. मिश्रा, संयुक्त निदेशक पी अमृता वर्षिणी,उपनिदेशक आदित्य पंत, सहायक निदेशक अभय मेनन, ज्योति नागरकोटी एवं निजी सचिव कुमार विवेक उपस्थित थे।
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