ऊर्जा राज्य मंत्री हीरालाल नागर ने राज्य विधान सभा में कहा कि हमारी सरकार ने प्रदेश को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए केन्द्रीय उपक्रमों के साथ एमओयू किये हैं। दूरदर्शी सोच के साथ उठाये गए इस कदम से आने वाले समय में राजस्थान में बिजली की कोई कमी नहीं रहेगी।
ऊर्जा राज्य मंत्री सदन में राज्य में बिजली की स्थिति पर चर्चा के बाद अपना जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के कुप्रबंधन के कारण प्रदेश को बिजली संकट से जूझना पड़ा। पूर्ववर्ती सरकार के समय बिजली के उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण तीनों ही क्षेत्रों की उपेक्षा हुई।
नागर ने बताया कि आवंटित कोल ब्लॉक से कोयले का खनन शुरू नहीं करवा पाने के कारण महंगा कोयला अन्य स्रोतों से खरीदा गया। जो कोयला 4000 रूपये प्रति टन आता है उसे आयातित कोयला के रूप में 18 हजार प्रति टन की दर से पिछली सरकार ने खरीदा जिससे फ्यूल सरचार्ज का बोझ आम जनता पर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के समय राज्य के थर्मल बिजलीघर अपनी स्थापित क्षमता 7 हजार 580 मेगावाट के मात्र 50 प्रतिशत पर ही उत्पादन करते रहे। हमने पीएलएफ बढ़ाया है, जनरेशन प्लांट ठीक किये हैं तथा समय पर कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित कर उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है।
नागर ने कहा कि वर्ष 2023 में रबी सीजन की मांग को पूरा करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने अन्य राज्यों से बैंकिंग के जरिए बिजली उधार ली। हमारी सरकार को इस विषम परिस्थिति में भी इस कर्ज को स्वयं के राज्य की बिजली काटकर लौटाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पिछली सरकार ने 35 हजार 234 लाख यूनिट उधार ली जो अब लौटानी पड़ रही है। जुलाई तक लगभग 24 हजार लाख यूनिट लौटाई जा चुकी है और आगामी दो माह में लगभग 11 हजार लाख यूनिट बिजली और लौटाई जानी है।
ऊर्जा राज्य मंत्री ने बताया कि औसत बिजली कटौती वर्ष 2022 के मुकाबले वर्ष 2024 में काफी कम रही है। उन्होंने कहा कि हम वर्ष 2027 तक किसानों को दो ब्लॉक में दिन में बिजली देंगे। कृषि कनेक्शनों को लेकर हमारी सरकार ने 1.50 लाख कनेक्शन जारी करने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा कि सभी कृषि कनेक्शन आगामी दो वर्ष में दिन में शिफ्ट किये जाएंगे तथा सोलर से जोड़े जाएंगे। श्री नागर ने बताया कि 1000 मेगावाट के सोलर संयंत्र सरकारी कार्यालयों पर लगाये जाएंगे, इसकी बिड जारी कर दी गई है।
ऊर्जा राज्य मंत्री ने बताया हमारी सरकार ने सोलर जनरेशन बढ़ाने के लिए बजट में व्यापक घोषणाएं की है, जिससे डिस्कॉम्स बिजली खरीद की लागत को न्यूनतम रखते हुए उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध करवाने की स्थिति में होंगे। उन्होंने बताया कि हाल ही में आरडीएसएस योजना में 7896 करोड़ रुपये की स्वीकृति केन्द्र सरकार से प्राप्त हो चुकी है जिसमें फीडरों का सेग्रीगेशन होगा।
नागर ने कहा कि हमारी सरकार ने दूरदर्शी सोच के साथ बिजली उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण तीनों ही आयामों में बडे लक्ष्य तय किये हैं। शक्ति पॉलिसी के तहत 3200 मेगावाट थर्मल प्लांट एवं 8000 मेगावाट सोलर प्लांट की ब्लेंडिंग कर कुल 11 हजार 200 मेगावाट के प्लांट की टैरिफ आधारित निविदा जिसकी लागत 64 हजार करोड़ रूपये है, प्रकियाधीन है।
भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए उत्पादन निगम एवं एनटीपीसी/एनजीईएल, कोल इंडिया, नेवेली लिग्नाईट जैसे केन्द्रीय उपक्रमों के साथ संयुक्त उपक्रम के माध्यम से 3325 मेगावाट कोयला एवं 28 हजार 500 मेगावाट अक्षय ऊर्जा के एमओयू किये गये हैं। इनकी लागत 1 लाख 50 हजार करोड़ रूपये है। साथ ही, पीएम कुसुम योजना कॉम्पोनेन्ट-सी के अन्तर्गत लगभग 4400 मेगावाट के आदेश जारी कर दिये गये हैं।
ऊर्जा राज्य मंत्री ने कहा कि हमने 112 नए जीएसएस का काम हाथ में लिया है। इनमें से 48 प्रगतिरत हैं, 22 के कार्यादेश जारी हो चुके हैं, 4 निविदा प्रकिया में हैं तथा 38 की निविदा प्रकिया शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि आगामी महीनों के लिए 1000 मेगावाट की शॉर्ट टर्म निविदा प्रकिया में है। हमारा प्रयास उपभोक्ता को समय पर सही गुणवत्ता की बिजली उपलब्ध कराने का है।
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