उन्होंने आरोप लगाया कि स्वच्छ भारत अभियान के बड़े दावे करने वाली भारतीय जनता पार्टी के जनप्रतिनिधियों ने अलवर की साख को बट्टा लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. दरअसल, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने शनिवार को एक बयान जारी कर ये बातें कही.
उन्होंने आगे कहा कि पिछले एक दशक से अलवर में सांसद, विधायक और मेयर भाजपा का होने के बावजूद अलवर शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गई है. अब तो केंद्र और राज्य दोनों सरकारों में अलवर के विधायक और सांसद प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. फिर भी सफाई की स्थिति ढाक के तीन पात वाली बनी है.
जूली ने कहा कि राज्य सरकार सफाई के प्रति कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बजट 2024 में स्वच्छ भारत 2.0 में 1324 करोड़ रुपए का प्रावधान था, जिसे 2024-25 में घटाकर 608 करोड़ रुपए कर दिया गया. बजट आधा करने से सफाई व्यवस्था का बंटाधार होना तय है.
सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं : भाजपा सरकार ने सफाई कर्मचारियों की भर्ती रद्द कर दी. साथ ही कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की स्थिति में सरकार के पास सफाई की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. इसका खमियाजा पिछले दिनों ही उठाना पड़ा है. सफाई कर्मियों के 10 दिन हड़ताल पर रहे जाने से शहर के नारकीय हालात बन गए थे.
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