जयपुर में एक बुजुर्ग पर इसका प्रभाव देखने को मिला। डॉक्टर का दावा है कि स्टेरॉयड ज्यादा देने से कूल्हे के बाएं जोड़ में गम्भीर बीमारी (एवेस्कुलर नेक्रोसिस (एवीएन)) हो गई। इसके कारण मरीज की जटिल हिप जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी करनी पड़ी।
जयपुर के एक निजी हॉस्पिटल के डॉक्टर अभिषेक सक्सेना ने बताया- 74 वर्षीय सत्येंद्र कुमार (नाम परिवर्तन) को कोरोना से संक्रमित होने पर इलाज के दौरान ज्यादा स्टेरॉयड दिया गया। इसके गंभीर प्रभाव उनके बाएं कूल्हे के जोड़ पर देखने को मिला।
उनके जोड़ में खून की सप्लाई बंद हो गई थी। हड्डी गलने लगी थी। इसके कारण उन्हें जोड़ में असहनीय दर्द होने लगा था। चलने में लगभग असमर्थ हो चुके थे। कूल्हे के बाएं जोड़ में एवेस्कुलर नेक्रोसिस (एवीएन) नाम की गम्भीर बीमारी होने पर टिश्यू मरने लगते हैं। टिश्यू के खत्म होने के कारण हड्डियां पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं
इंप्लांट लगाकर दी राहत
एवीएन बीमारी के अंतिम स्टेज में जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी ही इलाज का एकमात्र उपाय है। डॉ. अभिषेक ने बताया- इस तरह के केस में अक्सर मरीज के बदले हुए जोड़ में डिस्लोकेट होने की समस्या बनी रहती है। इसीलिए हमने आधुनिक इंप्लांट डुअल मोबिलिटी हिप रिप्लेसमेंट विद सिरेमिक हेड इंप्लांट लगाया।
इसकी खासियत है कि इस इंप्लांट के बार-बार डिस्लोकेट होने की संभावना बहुत कम होती है। साथ ही सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी तेज होती है और वे जमीन पर दोनों पैर मोड़कर भी बैठ सकता है।
10 मीटर भी चलना मुश्किल
हड्डी के घिसने या जोड़ के अलग हो जाने पर कूल्हे का फीमोरल हेड का भाग आम तौर पर प्रभावित होता है। अगर समय रहते इलाज नहीं कराया गया तो यह समस्या भविष्य में कूल्हे के आर्थराइटिस में तब्दील हो जाती है। इस बीमारी के कारण हड्डी के गलने से मरीज का बायां पैर छोटा हो गया था। मरीज के जोड़ ने तेज दर्द रहता था और मुश्किल से 10 मीटर ही चल पाते थे
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