बोर्ड की तैयारियों के साथ ही पेपर लीक गिरोह भी अपनी तैयारियों में जुटा था। गिरोह ने भी प्रदेश के 7 जिलों में अपने सेंटर बना लिए थे, जहां पेपर से पहले अभ्यर्थियों को उत्तर रटवाए गए थे।
25 सितंबर की रात को रीट का पेपर 8 से 15 लाख में बिक रहा था। गिरोह ने ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए नेटबंदी से पहले दाम घटाकर 3-3 लाख रुपए में भी पेपर बेचा था।
इसका खुलासा एसओजी की चार्जशीट में हुआ है। रीट पेपर लीक होने की पूरी कहानी का खुलासा हमने संडे बिग स्टोरी में किया था (अगर आपने वो स्टोरी नहीं पढ़ी तो उसका लिंक खबर के सबसे आखिरी में है)। इस स्टोरी में पढ़िए- कैसे पेपर माफियाओं ने नेटवर्क के जरिए लीक कांड को अंजाम दिया।
नेटबंदी से पहले तक सर्कुलेट होता रहा रीट पेपर
राजूराम ईराम ने अपने परिचित छतराराम से संपर्क कर पेपर देने के लिए परीक्षार्थियों की व्यवस्था की थी। सवाई माधोपुर जिले के एचेर निवासी राजेश कुमार मीना ने बत्तीलाल मीणा के साथ रीट परीक्षा पेपर के लिए परीक्षार्थी अरेंज करने में सहयोग किया था। 25 सितंबर की रात को महज 2-3 घंटों में ही नेटवर्क के जरिए 100 से ज्यादा अभ्यर्थियों के साथ डील की गई थी। डील का यह सिलसिला अगले दिन 26 सितंबर की सुबह नेटबंदी होने तक चलता रहा था। मास्टरमाइंड ने राजस्थान के 7 जिलों में अपने नेटवर्क और सहयोगियों से 250 से ज्यादा अभ्यर्थियों तक रीट पेपर पहुंचा दिया था।
योजना के अनुरूप हुआ काम, पेपर सॉल्व कराने में लगा समय
चार्जशीट के अनुसार 24 सितंबर की रात को जयपुर स्थित शिक्षा संकुल से रामकृपाल मीणा ने पेपर चुरा लिया था। रामकृपाल से इस पेपर को 5 करोड़ में सौदा कर राजूराम ने खरीदा था। राजूराम ने पेपर हासिल करने से पहले ही सारी योजना बना रखी थी कि पेपर कैसे सर्कुलेट करना है? आगे कितने में बेचना है? नेटबंदी से पहले-पहले कैसे अंजाम देना है?
योजना के मुताबिक राजूराम ने पहले पेपर सॉल्व कराया। इसमें उसके साथी शैतान सिंह ने मदद की। पेपर सॉल्व कराने में सबसे ज्यादा समय लगा, जिसके कारण राजूराम ने अपने नेटवर्क के जरिए रीट पेपर को 25 सितंबर की शाम से सर्कुलेट करना शुरू किया।
1. सवाई माधोपुर : पृथ्वीराज-बत्तीलाल मीणा की टीमों ने संभाली जिम्मेदारी
जांच में सामने आया कि सवाई माधोपुर में गिरोह की दो टीमें सक्रिय थी। पहली टीम की जिम्मेदारी पृथ्वीराज मीणा ने संभाल रखी थी, जिसने परीक्षार्थियों को नकल कराई। उसे उदाराम के सहयोगी भजनलाल ने पेपर दिया था। पृथ्वीराज ने अपने सहयोगी रवि जोनापुर, रवि पागड़ी (लाईन मैन) और अन्य साथियों के साथ मिलकर रायसिंह उर्फ विजय सिंह चौधरी के खैरदा स्थित मकान पर 14 परीक्षार्थियों को सॉल्वड पेपर पढ़ाया। इस दौरान पृथ्वीराज के सहयोगी सत्यनारायण उर्फ सत्तू और रोहित कुमार उर्फ नवीन चंदेल घर की निगरानी कर रहे थे।
वहीं रवि जीनापुर के स्कूल में अमृतलाल मीणा ने अपनी पत्नी मनचेती उर्फ मंचीता, अमित मीणा और अन्य को पेपर पढ़ाया था। जांच में सामने आया कि नवीन ने ही बाद में पृथ्वीराज के लैपटॉप को उसके घर ले जाकर तोड़कर फेंक दिया।
सवाई माधोपुर में गिरोह की दूसरी टीम की जिम्मेदारी बत्तीलाल मीणा ने संभाल रखी थी। उसे पृथ्वीराज ने पेपर दिया। बत्तीलाल ने अपने भाई राजेश मीणा, सहयोगी शिवदास मीना उर्फ शिवा चकेरी और दिलखुश मीणा को पेपर दिया। संजय मीना के कहने पर नाबालिग के मोबाइल पर भी पेपर भेजा। जहां से पुलिस कॉन्स्टेबल देवेंद्र और यदुवीर ने पेपर की मोबाइल से फोटो ले ली। देवेंद्र ने इसे परमवीर, जयवीर और सीमा को भेजा।
2. जयपुर: भजनलाल ने सर्कुलेट किया पेपर, किराए के फ्लैट में रटवाया
आरोपी भजनलाल बिश्नोई ने अपने परिचित ओमप्रकाश को जयपुर में परीक्षा से पहले ही पेपर दे दिया था। वहीं पूनाराम को आरोपी नरेश पूनिया की जयपुर स्थित डेयरी पर रुकवाकर भजनलाल ने पेपर पढ़ाया था। भजनलाल ने पृथ्वीराज, अंकित चौधरी और अन्य को जो पेपर भेजा, उसे महेंद्र गुर्जर से लिया।
महेंद्र ने ही जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के कॉन्स्टेबल उमेश कुमार के जरिए कमल यादव, महिपाल सिंह (निजी कॉलेज में व्याख्याता) को पेपर दिया। एसओजी की पूछताछ में भजनलाल ने बताया कि रामकृपाल और उसकी सहयोगी सन्नो ने जयपुर में उसे परीक्षार्थियों को पेपर पढ़ाने के लिए टोंक रोड पर तारों की कूट पर किराए के फ्लैट में जगह उपलब्ध कराई थी, जिसकी जांच एजेंसी ने भजनलाल की शिनाख्त पर तस्दीक की।
3. बाड़मेर: भजनालाल ठेकेदार ने मोबाइल पर मिले पेपर का प्रिंटआउट निकालकर अपने घर पर मनोज ज्याणी को दिया। मनोज ने अपनी पत्नी सीमा बिश्नोई को भजनलाल ठेकेदार के घर पर पेपर पढ़ाया और अपनी बहनों लक्ष्मी और सरस्वती को वॉट्सऐप पर पेपर भेजा। भजनलाल ने अशोक कुमार को पेपर भेजा, अशोक ने अपनी पत्नी सांवली को वॉट्सऐप पर भेज दिया। बाड़मेर की सोहिनी के मोबाइल पर भी भजनलाल ने ही पेपर भेजा था। सोहिनी ने पेपर पढ़ने के बाद जोधपुर के परीक्षा केंद्र पर परीक्षा दी थी।
4. जालोर: उदाराम ने 22 लोगों से की डील
आरोपी उदाराम से मिले पेपर से जालोर के भीनमाल में रामलाल बिश्नोई के मकान पर नरेंद्र ग्राम सेवक, अशोक बिश्नोई, विकास मांजू, प्रकाश कुमार उर्फ प्रकाश बागली, प्रकाश कुमार उर्फ प्रकाश तेतरवाल, राजूराम ईराम की पत्नी सोहनी और अन्य सहयोगियों ने 22 परीक्षार्थियों को पेपर पढ़ाया।
नरेंद्र ने पूजा बिश्नोई को उसके घर पर पेपर पढ़ने दिया और बेटी पूजा के साथ एग्जाम सेंटर जाते समय गाड़ी में पार्वती से भी पेपर शेयर किया। वहीं सुरेश कुमार साहू ने अपनी बहन के लिए उदाराम के जरिए मांजू से पेपर लिया। जांच में सामने आया कि इसमें चुन्नीलाल ने नरेंद्र बिश्नोई के भीनमाल स्थित मकान पर बचे हुए प्रश्नों को सॉल्व करने में मदद की थी।
5. जोधपुर: मास्टरमाइंड राजूराम के दो दोस्तों ने 22 लोगों को बेचा पेपर
यहां गिरोह की जिम्मेदारी मास्टरमाइंड राजूराम के सहयोगी जगदीश पालड़िया और विजय कुमार ने संभाल रखी थी। उन्होंने राजूराम और उसके सहयोगियों से मिले पेपर को तय किए गए स्थानों पर 22 से अधिक परीक्षार्थियों को परीक्षा से पहले पढ़ाया।
6. चित्तौड़गढ़ : अन्य जिलों की तरह चित्तौड़गढ़ में भी गिरोह सक्रिय था। राजूराम के सहयोगी गोपाराम उर्फ गोपाल खिलेरी और प्रवीण परावा ने रीट परीक्षार्थी क्षमता उर्फ अक्षमिता और अन्य को पेपर दिया। राजूराम ने द्रौपदी को अपनी गाड़ी में पेपर पढ़वाया। गोपाराम ने अपने नेटवर्क के जरिए जोधपुर में भी राजूराम को परीक्षार्थी उपलब्ध कराए थे, जिन्हें परीक्षा के पहले पेपर दिए गए।
7. अजमेर: मास्टरमाइंड राजूराम ने अजमेर के परीक्षार्थियों तक भी पेपर पहुंचाया। यहां नरेश जागिड़, राहुल कुमार बिश्नोई, प्रकाश भैराणी, प्रकाश गोदारा और अन्य सहयोगियों ने संगीता बिश्नोई, श्रवण कुमार के साथ ही अन्य परीक्षार्थियों को पेपर उपलब्ध कराया था।
नेटबंदी से पहले घटाया रेट, 3-3 लाख में भी पेपर बेचा
प्रदेश के 7 जिलों के अलावा भी गिरोह सक्रिय था। जहां से भी डिमांड आ रही थी मास्टरमाइंड वॉट्सऐप से रीट का पेपर मन मुताबिक डील कर बेच रहा था। 25 सितंबर की रात तक रीट पेपर का दाम 8.5 लाख से 15 के बीच था, लेकिन गिरोह नेटबंदी से पहले अधिक से अधिक परीक्षार्थियों को पेपर बेचना चाहता था। इसके लिए गिरोह में शामिल सहयोगियों ने एग्जाम से कुछ घंटे पहले दाम घटा दिए। फिर 3 लाख से 5 लाख में भी पेपर दिया था।
हर जिले में फिक्स था पेपर रटाने का सेंटर
एसओजी की जांच में सामने आया कि जिन जिलों में अधिक परीक्षार्थियों ने गिरोह से संपर्क किया था। वहां एक जगह तय कर सभी को एक ही जगह एकत्रित कर उन्हें सॉल्वड पेपर पढ़ाया गया था। गंगापुर सिटी की आरोपी प्रियंका गुप्ता ने भी एसओजी की पूछताछ में इसकी पुष्टि की।
पुलिस के अनुसार प्रियंका ने उन्हें बताया कि उनके पति नीरज कुमार गुप्ता ने परीक्षा से एक दिन पहले 25 सितंबर 2021 को पेपर पढ़ने के लिए उसे पृथ्वीराज मीणा और रवि मीणा उर्फ रवि पागड़ी के साथ एक मकान पर भेजा था, जहां 26 सितंबर की सुबह सॉल्वड पेपर पढ़ाया गया। यहां कुछ और परीक्षार्थी भी मौजूद थे, सभी ने एक साथ सॉल्वड पेपर याद किया था।
बत्तीलाल मीणा और भजनलाल के मोबाइल से सबसे ज्यादा बंटा पेपर
रीट-2021 का पेपर सबसे ज्यादा बत्तीलाल मीणा और भजनलाल के मोबाइल से सर्कुलेट हुआ था। दोनों ही माफिया सवाई माधोपुर जिले में सक्रिय थे। बत्तीलाल ने रीट का पेपर अपने दोस्त पृथ्वीराज मीणा से 26 सितंबर को सुबह 8 बजे वॉट्सऐप पर मंगाया था।
भजनलाल बिश्नोई ने 40 लाख रुपए में उदाराम से पेपर लेने के बाद टोंक के उनियारा में जूनियर टेक्निकल असिस्टेंट पृथ्वीराज मीणा को पेपर वॉट्सऐप किया था। यहां यह पेपर 13 अभ्यर्थियों को पढ़ाया गया।
भजनलाल ने परीक्षार्थियों को पेपर उपलब्ध कराने के लिए अपनी कार का उपयोग किया था। पुलिस का शिकंजा कसते देख आरोपी ने इस कार को पड़ोसी के खेत में छुपाकर खड़ा कर दिया था। एसओजी ने भजनलाल के घर से उस प्रिंटर को भी जब्त कर लिया, जिससे रीट पेपर की फोटो कॉपी निकालकर परीक्षार्थियों को पेपर पढ़ाया गया।
3 दिन पहले पेपर थी सूचना ‘ठेकेदार’ के पास आएगा पेपर
एसओजी की जांच और आरोपियों से पूछताछ में कुछ परीक्षार्थी ऐसे भी मिले, जिन्हें आरोपियों ने एडवांस रुपए लिए बिना पेपर दिया। ऐसे परीक्षार्थियों को सिलेक्शन होने पर 3 से 7 लाख रुपए देने का सौदा हुआ था। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने शुरू में एक पेपर के लिए 40 लाख रुपए तक लिए थे, लेकिन बाद में अधिक से अधिक लोगों को जोड़कर ज्यादा कमाई करने के लिए कम रुपयों में भी पेपर दिया था।
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