विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के कुछ दिनों बाद, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शनिवार को देश में मंकीपॉक्स की स्थिति और इसकी रोकथाम की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की. बैठक में बताया गया कि भारत में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है. बैठक में स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अत्यधिक सावधानी के तौर पर सभी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और ग्राउंड क्रॉसिंग पर स्वास्थ्य इकाइयों को संवेदनशील बनाने, जांच प्रयोगशालाओं को तैयार करने, किसी भी मामले का पता लगाने, उसे अलग करने और उसका प्रबंधन करने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को तैयार करने आदि जैसे कुछ उपाय किए जाएं.
यह देखा गया कि मंकीपॉक्स संक्रमण आमतौर पर 2-4 सप्ताह तक चलने वाला स्व-सीमित संक्रमण होता है और रोगी आमतौर पर सहायक प्रबंधन से पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. संक्रमण के लिए संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है और यह आमतौर पर यौन मार्ग, शरीर/घाव द्रव के साथ सीधे संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़े के माध्यम से होता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले जुलाई 2022 में मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित किया था और बाद में मई 2023 में इसे रद्द कर दिया था. 2022 से वैश्विक स्तर पर, डब्ल्यूएचओ ने 116 देशों से मंकीपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतों की सूचना दी है. वहीं डब्ल्यूएचओ द्वारा 2022 की घोषणा के बाद से, भारत में कुल 30 मामले सामने आए हैं, जिनमें से आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था.
स्थिति की समीक्षा के लिए 16 अगस्त को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों से मिलकर एक संयुक्त निगरानी समूह की बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र , विश्व स्वास्थ्य संगठन, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम केंद्र, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, केंद्र सरकार के अस्पताल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स आदि के विशेषज्ञों ने भाग लिया था.
एक अधिकारी ने कहा, "हालांकि आने वाले हफ्तों में कुछ आयातित मामलों का पता चलने की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया गया है, लेकिन यह आकलन किया गया कि निरंतर फैलने के साथ बड़े पैमाने पर प्रकोप का जोखिम भारत के लिए वर्तमान में कम है."
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