कोलकाता रेप-मर्डर केस, अंतिम संस्कार के बाद FIR पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई

सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर मामले में सुनवाई जारी है. अदालत सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पर सुनवाई कर रही है. सीबीआई ने कहा कि अंतिम संस्कार के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई. केस की लीपापोती की कोशिश की गई. सीबीआई ने कहा कि पांचवें दिन मामले की जांच शुरू की. अस्पताल में लंबे समय से गड़बड़ी की गई. सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई कि अंतिम संस्कार के बाद मुकदमा दर्ज किया गया. अप्राकृतिक मौत की बात भी दोपहर बाद सामने आई. इसपर मामले की सुनवाई कर रही पीठ में शामिल एक जस्टिस ने कहा कि मैंने अपने 30 साल के करियर में ऐसा नहीं देखा

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस से सवाल किया और पोस्टमार्टम के समय के बारे में पूछा. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने जवाब दिया कि यह शाम 6:10 से 7:10 बजे के आसपास था. सुप्रीम कोर्ट ने आगे पूछा कि जब आप शव को पोस्टमार्टम के लिए ले गए थे तो क्या यह अप्राकृतिक मौत का मामला था या नहीं और अगर यह अप्राकृतिक मौत नहीं थी तो पोस्टमार्टम की क्या जरूरत थी. सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अप्राकृतिक मौत का मामला दोपहर 1:45 बजे दर्ज किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह बहुत आश्चर्यजनक है क्योंकि पोस्टमार्टम अप्राकृतिक मौत के पंजीकरण से पहले होता है.

सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से कहा कि कृपया जिम्मेदारी से बयान दें और जल्दबाजी में कोई बयान न दें. सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से आगे कहा कि जब भी वह मामले को अगली तारीख पर लेगी तो कृपया यहां एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मौजूद रखें क्योंकि अदालत को अभी तक यह जवाब नहीं मिला है कि अप्राकृतिक मौत का मामला कब दर्ज किया गया था.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों को अपनी ड्यूटी पर लौटना चाहिए और उनके खिलाफ कोई विपरीत कदम नहीं उठाया जाएगा. सीजेआई ने कहा कि डॉक्टरों को काम पर लौटना चाहिए और कोर्ट आज कुछ सामान्य आदेश पारित करेगा. सुनवाई के दौरान आरजी कर अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि वे आतंकित महसूस कर रहे हैं.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने आरोपी की चोट की मेडिकल रिपोर्ट के बारे में पूछा. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह केस डायरी का हिस्सा है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई ने 5वें दिन जांच शुरू की, सब कुछ बदल दिया गया और जांच एजेंसी को नहीं पता था कि ऐसी कोई रिपोर्ट है. वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने एसजी की दलील का खंडन किया और कहा कि सब कुछ वीडियोग्राफी है, न कि बदला गया. एसजी मेहता ने कहा कि शव के अंतिम संस्कार के बाद 11:45 बजे एफआईआर दर्ज की गई. पीड़िता के सहकर्मियों के आग्रह के बाद वीडियोग्राफी की गई और इसका मतलब है कि उन्हें भी कुछ संदेह था.

सुप्रीम कोर्ट ने आश्वासन दिया कि एक बार जब डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर लौट आएंगे, तो हम अधिकारियों पर प्रतिकूल कार्रवाई न करने का निर्देश देंगे. सीजेआई ने पूछा कि अगर डॉक्टर काम पर वापस नहीं लौटेंगे तो सार्वजनिक प्रशासनिक ढांचा कैसे चलेगा. सुप्रीम कोर्ट अब कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट की जांच कर रहा है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी एक कहानी साझा करते हुए कहा कि वह एक बार एक सार्वजनिक अस्पताल के फर्श पर सोए थे, जब उनके एक रिश्तेदार की तबीयत खराब थी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है. सुनवाई के दौरान डॉक्टरों की ओर से उनकी समस्याओं को उठाया गया. डॉक्टरो की ओर से कहा गया कि हड़ताल को लेकर उनके खिलाफ कदम उठाया गया. इसपर मांग कि की उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाए. एम्स नागपुर के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोलकाता बलात्कार-हत्या मामले पर विरोध प्रदर्शन के लिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.

कोलकाता रेप-मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज यानी गुरुवार को दोबारा सुनवाई कर रही है. वहीं, सीबीआई और ममता बनर्जी सरकार ने अस्पताल के तोड़फोड़ मामले में आज कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट सब्मिट कर दी है. इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने इस पूरे मामले में सरकार और पुलिस के रवैये पर नाराजगी जताई थी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पश्चिम बंगाल पुलिस को जमकर फटकार लगाई थी. साथ ही दो दिन के भीतर इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा था. सीजेआई ने अस्पताल में सुरक्षा को लेकर कई बडे़ आदेश दिए थे.

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते मामले की सुनवाई कर रही है. इससे पहले मंगलवार (20 अगस्त) को मामले में सुनवाई की थी. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में सुनवाई हुई. इस पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र शामिल हैं.

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले से निपटने के तरीके को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस पर कई सवाल उठाए. सीजेआई ने कहा कि यह घटना पूरे देश में डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया है. कोर्ट ने इस मामले को लेकर दस सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया.

इसमें सर्जन वाइस एडमिरल आरके सरीन, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी के प्रबंध निदेशक डॉक्टर नागेश्वर रेड्डी समेत अन्य लोग शामिल हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस तथ्य पर गहरी चिंता व्यक्त की कि पीड़िता का नाम, मृतक की तस्वीरें और वीडियो क्लिप सार्वजनिक रूप से वायरल हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस को फटकार लगाई लगाते हुए सीआईएसएफ को आरजी कर अस्पताल को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा.

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