मई 2017, जयपुर की कस्तूरबा विहार कॉलोनी
सुबह के आठ सवा आठ बजे का वक्त था, जब अचानक कॉलोनी में रहने वाले इंजीनियर आशीष बागची (परिवर्तित नाम) के घर से ताबड़तोड़ फायरिंग की आवाज आई। आवाज सुनकर इलाके के लोग आशीष के घर की तरफ दौड़े।
लोग आशीष के घर के गेट तक ही पहुंचे थे। देखा कि एक महिला और दो आदमी आशीष की पत्नी दिव्या (परिवर्तित नाम) को घसीटकर बाहर ला रहे हैं। बिना इस बात की परवाह किए कि वो प्रेग्नेंट है। मौके पर भीड़ बढ़ती देख तीनों घबरा गए और दिव्या को घर के बाहर पटककर कार में बैठकर फरार हो गए।
उनके जाने के बाद बेसुध दिव्या ने खुद को संभाला, तब तक उसकी सास भी वहां आ गई थी। दोनों रोती-चिल्लाती घर के अंदर दौड़ी। ड्राइंग रूम में आशीष की लहूलुहान लाश पड़ी थी। दिव्या का सुहाग उजाड़ने वाले और प्रेग्नेंट होने के बावजूद उसे बेरहमी से घसीटने वाले और कोई नहीं उसी के मां-बाप थे।
मई 2017 को इंजीनियर आशीष के घर के बाहर कार आकर रुकी। कार से उसकी पत्नी दिव्या की मम्मी रानी देवी (परिवर्तित नाम) और पापा विजय कुमार (परिवर्तित नाम) उतरे। कार में दो और लोग थे। एक कार के पास ही रुक गया और एक रानी देवी और विजय कुमार के साथ उसके घर की तरफ बढ़े।
पिता ने घर की डाेरबेल बजाई। दिव्या ने गेट खोला। गेट के बाहर अपने मम्मी-पापा को देखते ही दिव्या इतनी खुश हो गई कि उसकी आंखें भर आईं। शिकायत भरे लहजे में अपने पिता से लिपटकर बोली- ‘पापा! आपको हमारी याद नहीं आती है क्या, जो इतने दिनों बाद आज आए हो?’
पिता ने बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘ऐसा नहीं है बेटा, आखिर हम तेरे मां-बाप हैं। तूने भले ही हमारा दिल तोड़ा और अपनी मनमर्जी की है, लेकिन हम तुझे कभी नहीं भूल सकते हैं।’
इस पर दिव्या बोली-‘पापा! आप लोग अब घर के अंदर भी आ जाओ और मम्मी आप क्यों चुप खड़ी हो। क्या बात है? इस पर दिव्या की मां ने कहा- ‘बेटा आज हम तेरे से ही तो मिलने आए हैं।’
दिव्या ने अपने मम्मी-पापा के साथ अंजान शख्स को देख पूछा- ‘ये कौन हैं, इन्हें पहले कभी नहीं देखा?’ इस पर विजय कुमार ने कहा, ‘ये हमारे परिचित हैं। हम साथ-साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में तेरा घर था तो सोचा तेरे से भी मिल लें। इसी बहाने गिले-शिकवे भी दूर हो जाएंगे, आखिर कब तक तुझसे नाराज रहेंगे?'
पिता की बात सुन दिव्या को तसल्ली हुई। उसने मम्मी-पापा और उस तीसरे शख्स को ड्राइंग रूम में सोफे पर बिठाया और तीनों के लिए चाय-नाश्ते की तैयारी करने लगी। दिव्या के पिता विजय कुमार ने उससे पूछा- ‘दामादजी दिख नहीं रहे, कहीं बाहर गए हैं क्या?’ दिव्या ने जवाब दिया- ‘वो अभी सो रहे हैं। लेट ही उठते हैं। अभी उन्हें जगा देती हूं।’
दामाद का बेटी के सामने मर्डर
दिव्या अपने कमरे में गई और पति आशीष को जगा कर बोली, ‘मम्मी-पापा आए हैं, आपसी गिले-शिकवे दूर करना चाहते हैं।'
दिव्या की बात सुनकर आशीष हैरान रह गया। जल्दी से उठा और वाश बेसिन पर जा कर अपना मुंह धोया। तौलिए से मुंह पोंछते हुए ड्राइंग रूम में पहुंचा। दिव्या के मम्मी-पापा को हाथ जोड़ कर प्रणाम करते बोला, ‘पापा जी! आज आप को हमारी याद कैसे आ गई?’
विजय कुमार ने हंसते हुए कहा ‘बेटा, ऐसी कोई बात नहीं है। तुमसे शादी करने के बाद दिव्या तो हमें भूल ही गई है। अब उसे हमारे साथ भेज दो। कुछ दिन वो हमारे साथ रह लेगी। वैसे भी वह प्रेग्नेंट है, इसलिए उसे अभी पीहर में आराम की जरूरत है।’
आशीष के जवाब देने से पहले ही दिव्या बोल पड़ी- ‘पापा, मैं कहीं नहीं जाऊंगी। मुझे यहां किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं है।’ आशीष ने उसकी बात से सहमति जताते हुए कहा- ‘पापा जी, दिव्या आप के साथ नहीं जाना चाहती, इस का कहीं जाने का मन नहीं है।’
दिव्या और आशीष की बातें सुन कर विजय कुमार ने कुछ नहीं कहा। बस अपने साथ आए युवक को आंखों से इशारा किया। इशारा पाते ही उस युवक ने जेब से पिस्तौल निकाली और आशीष पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। लहूलुहान आशीष फर्श पर गिर गया। उसके सीने, गर्दन और पैर में 4 गोलियां लगी थीं।
बेटी का भी अपहरण करने की कोशिश
पास खड़ी दिव्या न कुछ सोच पा रही थी और न ही कुछ समझ पा रही थी। ‘मम्मी-पापा! आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? अपनी ही बेटी से इतनी नफरत?’ दिव्या ये सवाल पूछ पाती, इससे पहले ही उसके बेरहम मां-बाप ने उसके बाल पकड़े और घसीटते हुए अपने साथ ले जाने लगे।
तब तक गोलियों की आवाज और दिव्या की चीखें सुन कर अंदर से आशीष की मां शकुंतला देवी आ गई थीं। कॉलोनी के काफी लोग भी आ गए थे। इधर, दिव्या के माता-पिता के साथ आए बाहर खड़े उस चौथे शख्स ने तब तक कार स्टार्ट कर दी थी। भीड़ बढ़ती देख बेटी को वहीं पटककर विजय कुमार, रानी देवी और वो तीसरा शख्स कार में बैठकर फरार हो गए।
दिनदहाड़े घर में घुसकर हत्या से काॅलोनी में हड़कंप मच गया। आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने इलाके में नाकाबंदी करा दी। आशीष की मां शकुंतला देवी ने थाने में आशीष के सास-ससुर व 2 अन्य लोगों के खिलाफ आशीष की हत्या और उसकी पत्नी दिव्या को जबरन ले जाने का प्रयास का मामला दर्ज कराया।
कई टीमें गठित की
तत्कालीन जयपुर पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कई पुलिस टीमों का गठन किया। दिव्या के मां-बाप विजय कुमार और रानी देवी के स्केच बनवाए गए और उनकी तलाश शुरू की गई। गोली चलाने वाले और कार भगाने वाले शख्स का पता उनके पकडे़ जाने पर ही चल सकता था।
हालांकि अब तक पुलिस को दिव्या के परिजनों और रिश्तेदारों के नाम-पते पता चल गए थे। दिव्या के पिता विजय कुमार शेखावाटी के रहने वाले थे। वारदात के दौरान वह जयपुर में रह रहे थे।
पुलिस हत्यारों की तलाश में जुट गई, क्योंकि कई सवाल थे, जिनके जवाब अब भी मिलने बाकी थे…
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