जम्मू-कश्मीर में डोडा जिले के डेसा में आतंकवादियों की फायरिंग में सेना के कैप्टन समेत 4 जवान शहीद हो गए। एक पुलिस कर्मी की भी मौत हुई है। यानी कुल 5 लोगों की जान गई है। इनमें झुंझुनूं जिले (राजस्थान) के 2 जवान शामिल हैं। दोनों जवान राष्ट्रीय रायफल्स में तैनात थे। इनकी पार्थिव देह कल झुंझुनूं लाई जाएंगी।
सुबह मिली शहादत की खबर
डोडा शहर से करीब 55 किमी दूर हुए आतंकी मुठभेड़ में बुहाना तहसील के भैसावता कलां के सिपाही अजय सिंह नरूका (26) पुत्र कमल सिंह नरूका और डूमोली कलां की ढाणी खुबा के रहने वाले बिजेंद्र सिंह दौराता (26) पुत्र रामजीलाल शहीद हुए हैं। मंगलवार सुबह दोनों जवानों के परिवार को शहादत की खबर मिली।
जवान के सम्मान में यात्रा निकाली जाएगी
अजय सिंह की पार्थिव देह बुधवार सुबह 9:15 बजे सिंघाना से भैसावता कलां (झुंझुनूं) पहुंचेगा। वहां से शहीद के सम्मान में यात्रा निकाली जाएगी। अजय के पिता कमल सिंह नरूका भी सेना में हवलदार रह चुके हैं। कमल सिंह 2015 में रिटायर हुए थे।
अजय की 2021 में हुई थी शादी
शहीद अजय सिंह नरूका की शादी 21 नवंबर 2021 को शालू कंवर (24) से हुई थी। मां सुलोचना देवी गृहिणी हैं। अजय सिंह का छोटा भाई करणवीर सिंह (24) बठिंडा (पंजाब) के AIMS में डॉक्टर है। पत्नी शालू कंवर ने इसी साल चिड़ावा के कॉलेज से M.Sc. क्लियर किया है। शहीद के चाचा कायम सिंह भी भारतीय सेना की 23 राजपूत रेजिमेंट में सिक्किम में तैनात हैं। उन्हें 2022 में सेना मेडल से नवाजा गया था।
पिलानी में रहता है परिवार
शहीद अजय सिंह का मूल गांव खेतड़ी के समीप भैसावता कलां है, लेकिन उनका परिवार 2007 से पिलानी के हरिनगर में रहता है। मंगलवार सवेरे करीब साढ़े सात बजे उनकी पत्नी शालू कंवर के पास सेना के अधिकारियों का फोन आया। इस दौरान वह अपने पीहर में थीं। शहादत की खबर सुनते ही वह बेसुध हो गईं। इसके बाद उन्होंने परिवार को इसकी खबर दी। शहीद के पिता कमल सिंह काे जैसे ही बेटे के शहीद होने की खबर मिली, वे बिलख पड़े। लोगों ने उन्हें बड़ी मुश्किल से संभाला। पूरा परिवार पिलानी से भैसावता कलां पहुंच गया है।
18 जुलाई को घर आने वाले थे अजय सिंह
परिजनों ने बताया- अजय सिंह दो महीने पहले छुट्टी पर घर आए थे। इसके बाद ड्यूटी पर वापस लौट गए थे। दो दिन बाद 18 जुलाई को छुट्टी लेकर गांव आने वाले थे। इससे पहले मुठभेड़ में शहीद हो गए।
अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुटे गांव वाले
शहीद अजय सिंह नरूका के पैतृक गांव बुहाना तहसील के भैसावता कलां में अंतिम संस्कार की तैयारियों में गांव वाले जुट गए हैं। रास्तों की साफ-सफाई की जा रही है। घर तक जाने वाली गली ऊबड़-खाबड़ है। इसलिए उसकी मरम्मत की जा रही है।
2018 में भर्ती हुए थे आर्मी में
बिजेंद्र सिंह 2018 में आर्मी में भर्ती हुए थे। 8 नवंबर 2019 में उनकी शादी नयाबास मानोता कलां (खेतड़ी) की रहने वाली अंकिता (25) से हुई थी। उनके दो बेटे हैं, जिनमें विहान चार साल का, जबकि किहान एक साल का है। परिवार में तीन बहनें भरपो देवी, शर्मिला, कविता है, जिनकी शादी हो चुकी हैं। पिता रामजीलाल (48) गांव में खेती करते हैं। मां धोली देवी गृहिणी है। छोटा भाई दशरथ सिंह (24) भी सेना में हैं, जो लखनऊ में तैनात है।
पांच दिन पहले छुट्टी हो गई थी कैंसिल
बिजेंद्र सिंह फरवरी में एक महीने की छुट्टी पर अपने घर आए थे। पांच दिन पहले घर आने वाले थे, लेकिन आतंकी घटनाओं के चलते छुट्टी कैंसिल हो गई थी।
परिवार को नहीं शहादत की जानकारी
बिजेंद्र सिंह की शहादत के बारे में अभी तक परिवार को नहीं बताया गया है। उनके छोटे भाई दशरथ सिंह (24) को इसकी जानकारी है। सेना के अधिकारियों का कॉल दशरथ सिंह के पास आया था। इसी के बाद उनको बिजेंद्र के शहीद होने की जानकारी हुई। दशरथ सिंह को फौरन छुट्टी देकर लखनऊ से गांव के लिए भेज दिया गया है।
दोपहर में दशरथ सिंह पैतृक गांव डूमोली कलां की ढाणी खुबा पहुंच चुके हैं। वे अपने साथियों के साथ अभी गांव के पंचायत भवन में ही रुके हैं। घर की तरफ जाने वाले लोगों को यही पर रोका जा रहा है।
पंचायत घर में इकट्ठे हुए ग्रामीण
बिजेंद्र की शहादत की जानकारी उनके परिवार वालों को नहीं है। गांव के कुछ लोगों तक यह खबर पहुंच गई है। गांव के पंचायत घर पर लोग इकट्ठे हैं। ये लोग गांव में शहीद बिजेंद्र सिंह के घर की ओर किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं जाने दे रहे हैं। उन्हें आशंका है कि भीड़-भाड़ के कारण बिजेंद्र की पत्नी, उनके पिता सहित परिवार को शहादत की जानकारी मिल जाएगी।
पार्थिव देह आने से 2 घंटे पहले गांव में जाने दिया जाएगा
बिजेंद्र सिंह के चचेरे भाई सीताराम ने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया से शहादत की खबर मिली। रोते हुए वे बताते हैं कि गांव में अभी किसी को कुछ पता नहीं है। ग्रामीणों ने तय किया है कि पार्थिव देह आने से दो घंटे पहले ही शहीद के घर की ओर किसी को जाने दिया जाएगा।
पीछा करते ही आतंकवादियों ने शुरू की फायरिंग
डोडा जिले में डेसा जंगल के धारी गोटे उरारबागी में राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस सोमवार से ही सर्च ऑपरेशन चला रही थी। इस दौरान आतंकवादी फायरिंग करते हुए भागे। भारतीय सेना के जवानों ने उनका पीछा किया। घना जंगल होने की वजह से आतंकी सुरक्षाबलों को चकमा देते रहे। सोमवार रात करीब 9 बजे फिर गोलीबारी हुई। इसमें 5 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
हेलिकॉप्टर, ड्रोन से आतंकियों की तलाश
सेना इलाके में हेलिकॉप्टर, ड्रोन से आतंकियों की तलाश कर रही है। उधर, जम्मू डिवीजन के डोडा में पिछले 34 दिनों में इस तरह का यह पांचवां एनकाउंटर है। इससे पहले 10 जुलाई की शाम को भी एनकाउंटर हुआ था। 26 जून को एक और 12 जून को भी 2 हमले भी हुए थे।
आतंकी संगठन ने ली हमले की जिम्मेदारी
हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े कश्मीर टाइगर्स ने ली है। संगठन ने दावा किया है कि उनके हमले में आर्मी के कैप्टन समेत 12 जवान मारे गए हैं, जबकि 6 घायल हैं
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