राजस्थान के 2024-25 के बजट ने कई रिकार्ड बनाए हैं। बजट में शामिल करने के लिए पहली बार 1.68 लाख सुझाव आए। पहली बार ही बजट में 1005 घोषणाएं हुई। उनमें 188 तो बड़ी घोषणाएं हैं। पहली बार ही 1 लाख 9 हजार सुझाव युवा, बेरोजगारों, नौकरी और भर्तियों के संबंध में आए। फिर भी बजट का रिपोर्ट कार्ड 0.6 प्रतिशत रहा। यानी कुल प्राप्त सुझावों में से 1 प्रतिशत मांगें भी बजट में समाहित नहीं हो पाई।
केवल करीब आधा प्रतिशत ही हो पाई। मई जून में करीब एक माह तक सीएम की तरफ से विधायकों, विभिन्न संगठनों, अफसर, कर्मचारियों और जनता से बजट सुझाव मांगे गए थे। बजट को लेकर 27 मई से 20 जून तक आमजन सहित विभिन्न वर्गों से सुझाव मांगे थे। अब विधानसभा में बजट में शामिल घोषणाओं का दूसरा पहलू दिखने को मिल रहा। ज्यों ज्यों बजट सत्र आगे बढ़ रहा है, विधायक खड़े हो रहे और अपने क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगा रहे।
विधायकों ने कहा- झोली भर-भर सुझाव दिए, हमारे क्षेत्र का नाम तक नहीं
बजट पर शिव विधायक रविंद्रसिंह भाटी ने कहा कि उनके क्षेत्र के नाम एक भी घोषणा नहीं की गई। हमने झोली भर-भर बजट में शामिल करने के लिए सुझाव दिए थे। उसी तरह पिलानी विधायक पितरामसिंह काला ने भी कहा कि उनके क्षेत्र का नाम ही बजट में गायब है। राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ के विधायक मांगेलाल मीणा सहित कई विधायकों ने पार्टी और सदन के मंच पर शिकायतें की है कि उनके क्षेत्र की पूरी तरह से उपेक्षा की गई है।
ग्रेड-पे वेतन भत्तों के सुझाव भी ज्यादा
राज्य सरकार के बजट के लिए आए सुझावों में से बड़ी संख्या में कर्मचारियों के ग्रेड-पे सहित वेतन-भत्तों से जुड़ी अन्य समस्याओं से सम्बन्धित आए। सरकार को सबसे अधिक करीब 1 लाख 11 हजार सुझाव कर्मचारियों से सम्बन्धित मिले। ओपीएस जारी रखने के साथ ही ग्रेड-पे, वेतन विसंगति और वेतन-भत्तों से जुड़ी समस्याओं के समाधान से सम्बन्धित सुझाव हैं।
भर्तियों से जुड़े 37900 सुझाव आए
पहली बार एक लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। हर पांचवीं मांग रोजगार जुड़ी आई। करीब 37900 रोजगार और भर्तियों से सम्बन्धित बताए गए। जयपुर स्थित सचिवालय में भी इन दोनों वर्गों से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सीधे संवाद किया था।
ये है प्रमुख मांगें व सुझाव
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