इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट में 22 जुलाई को सुनवाई: याचिकाकर्ता की मांग- कोर्ट की निगरानी में SIT जांच हो, पार्टियों से पैसे वसूले जाएं

इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। NGO कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) ने बॉन्ड के लेनदेन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में SIT जांच की मांग की है। इस पर 22 जुलाई को सुनवाई होगी।

सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच करेगी। दोनों NGO की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने यह याचिका लगाई है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि इससे जुड़ी बाकी याचिकाओं को भी एकसाथ सुना जाएगा।

मार्च 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सामने आने के बाद यह याचिका लगाई गई। इसमें दो मांगें रखी गई हैं। पहला- इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कॉरपोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की जांच SIT से कराई जाए। SIT की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें।

दूसरी मांग है कि आखिर घाटे में चल रहीं कंपनियों (शैल कंपनियां भी शामिल) ने पॉलिटिकल पार्टीज को कैसे फंडिंग की। अधिकारियों को निर्देश दिया जाए की पॉलिटिकल पार्टियों से इलेक्टोरल बॉन्ड में मिली राशि वसूल करें। क्योंकि यह अपराध से जरिए कमाई गई राशि है।

फायदे के लिए की गई फंडिंग

याचिकाकर्ताओं का दावा है कि कंपनियों ने फायदे के लिए पॉलिटिकल पार्टियों को बॉन्ड के जरिए फंडिंग की। इसमें सरकारी काम के ठेके, लाइसेंस पाने, जांच एजेंसियों (CBI, IT, ED) की जांच से बचने और पॉलिसी में बदलाव शामिल है। आरोप है कि घटिया दवाईयां बनाने वाली कई फार्मा कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 का उल्लंघन है।

वित्त मंत्री ने कहा था- हम इलेक्टोरल बॉन्ड फिर से लाएंगे

सुप्रीम कोर्ट की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगाने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (वर्तमान सरकार में भी वित्त मंत्री) ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि अगर हम सत्ता में आए तो इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को फिर से वापस लाएंगे। इसके लिए पहले बड़े स्तर पर सुझाव लिए जाएंगे। सरकार के दोबारा से इलेक्टोरल बॉन्ड लाने की बात पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि इस बार वे कितना लूटेंगे।

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