Muhammad Yunus interim Government: बांग्लादेश में इस साल जून में शुरू हुए विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला छह माह बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा। अगस्त माह के पहले सप्ताह में कथित छात्र क्रांति के बाद 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कृत अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus interim Government) के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार के 100 दिन रविवार को पूरे हो गए। 100 दिनों के बाद भी ढाका की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की संख्या में कमी आने के बजाए और बढ़ती जा रही है। छात्रों से लेकर कर्मचारी और विभिन्न अधिकार समूह अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर जमे हुए हैं, जिसके चलते जगह-जगह जाम के हालात बन जाते हैं।
आंदोलनों और प्रदर्शनों के जरिए वजूद में आई यूनुस सरकार को समझ नहीं आ रहा है कि कैसे इन धरना-प्रदर्शनों पर रोक लगाए। कई जानकार इसको अराजकता जैसे हालात की संज्ञा दे रहे हैं, जिसका असर बांग्लादेश की पहले ही मुश्किलों से जूझ रही अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। सरकार ने बार-बार अपील की है कि आंदोलनकारी सड़कों के बजाए पार्कों में धरना आदि दें, पर इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है। प्रदर्शनकारियों पर सिर्फ दो किस्म की मनमानी रोक लागू हैं। अवामी लीग के नेताओं और छात्रों को स्पष्ट तौर विरोध प्रदर्शन की छूट नहीं है। साथ ही प्रदर्शनकारी अब सरकार के मुखिया यूनुस के घर के बाहर धरना नहीं दे सकते।
पिछले महीने इस्लामी समूहों ने दो समाचार पत्रों के कार्यालयों को घेरने की योजना की घोषणा की थी, उन पर अपने धर्म का अनादर करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद सरकार को अंदर मौजूद कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सैनिकों को तैनात करना पड़ा था। वहीं, नवंबर महीने की शुरुआत में, भीड़ ने एक लोकप्रिय नाटक का मंचन रोकने के लिए ढाका के सबसे प्रतिष्ठित थिएटर पर धावा बोलने का प्रयास किया। दूसरी तरफ पुलिस-प्रशासन भी शासन के काबू में नहीं है। अधिकार समूहों ने दावा किया है कि नई सरकार के कार्यकाल में 8 लोग न्यायिक हिरासत या फिर सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए। वहीं, 55 से ज्यादा लोगों की मौत विरोध प्रदर्शनों में भी हुई है।
छात्र नेतृत्व वाली क्रांति के बाद हुए उपद्रव के कारण बांग्लादेश की गारमेंट इंडस्ट्री को अब तक 400 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। गौरतलब है कि बांग्लादेश के 3,500 परिधान कारखानों का उसके 55 बिलियन डॉलर के वार्षिक निर्यात में लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा है।
दूसरी ओर यूनुस सरकार के सामने वैधता का संकट भी खड़ा हो रहा है। संविधान के अनुसार, नई सरकार का चुनाव 90 दिनों में होना अनिवार्य हैं, जिसमें 90 दिनों की छूट ली जा सकती है। लेकिन यूनुस सरकार फिलहाल किसी तरह के चुनावी मूड में नहीं दिखती है। जिस पर अब सरकार के समर्थक भी सवाल उठाने लगे हैं।
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