छिंदवाड़ा.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों लोकार्पित बादलभोई राज्य आदिवासी संग्रहालय का नवीन भवन अचानक बंद कर दिया गया है। इसके लिए जनजातीय कार्य विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के पास ट्राई भोपाल के अधिकारियों का फोन आया था। इधर, म्यूजियम बंद होने से सैकड़ों लोग हर दिन निराश होकर वापस लौट रहे हैं। लोग लोकार्पण के बाद म्यूजियम बंद रखने के कारण को समझ नहीं पा रहे हैं
बीती 15 नवम्बर को प्रधानमंत्री ने भगवान बिरसा मुण्डा जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में इसका वर्चुअल लोकार्पण किया था। तब से यह म्यूजियम एक सप्ताह बमुश्किल खुला रहा। उसके बाद जनजातीय कार्य विभाग के कर्मचारियों ने इस नए भवन के गेट पर ताला डाल दिया। म्यूजियम में लगातार दो दिन में सैकड़ों दर्शक इस भवन में लगे ताले को देख कर लौट गए। फिलहाल पर्यटन प्रेमियों में इस घटनाक्रम से सरकार और प्रशासन के खिलाफ आक्रोश उमड़ रहा है। उनके मुताबिक इस भवन में आदिवासी संस्कृति को किस तरह सुरक्षित रखा गया है, ये देखने को नहीं मिल पा रहा है।
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40 करोड़ की लागत से बना संग्रहालय
करीब 40.69 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित इस म्यूजियम में जनजातीय संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम की कहानियों को प्रदर्शित करने के लिए 6 गैलरियों का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त, यहां एक कार्यशाला कक्ष, एक लाइब्रेरी, कार्यालय के लिए स्थान, 800 दर्शकों की क्षमता वाला ओपन एयर थिएटर, शिल्प बाजार (शिल्पग्राम) और एक ट्राइबल कैफेटेरिया भी है। इस गैलरी में स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी नायकों रानी दुर्गावती, बादलभोई, भगवान बिरसा मुण्डा समेत गोंड राजाओं के शौर्य का वर्णन किया गया है।
इनका कहना है…
आदिवासी संग्रहालय पर ताला ट्राई भोपाल के आदेश पर कर्मचारियों ने लगाया है। इस बारे में ट्राई को जनजातीय कार्य विभाग की ओर से पत्र लिखा जा रहा है। उनके आदेश आते ही ताला खोला जाएगा।
-उमेश सातनकर, सहायक संचालक, जनजातीय कार्य विभाग।
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संग्रहालय बंद करने संबंधी कोई आदेश नहीं है। हो सकता है कुछ मेंटनेंस के चलते बंद किया हो। पता करवाता हूं किस कारण से बंद किया गया है।
-कुंवर विजय शाह, मंत्री जनजातीय कार्य।
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