प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तालकटोरा स्टेडियम, दिल्ली में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन केवल भाषा या राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आजादी की लड़ाई का सार समाहित है। यह आयोजन 1878 से लगातार भारतीय साहित्य और संस्कृति की धरोहर को सहेजता आ रहा है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मराठी भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर भी है। उन्होंने कहा, "मराठी भाषा अमृत से भी मीठी है, और मैं इसे सीखने का निरंतर प्रयास करता हूं।" उन्होंने इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए शरद पवार के निमंत्रण को अपना सौभाग्य बताया।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मराठी भाषा को हाल ही में शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। इससे 120 मिलियन से अधिक मराठी भाषी लोगों को गर्व महसूस हुआ है, जो दशकों से इस मान्यता की प्रतीक्षा कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र की ऐतिहासिक भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि मराठी भाषा ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की नींव भी एक मराठी भाषी व्यक्ति द्वारा रखी गई थी। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने उन्हें और लाखों अन्य लोगों को राष्ट्र के लिए जीने की प्रेरणा दी है।
पीएम मोदी ने मराठी भाषा की व्यापकता को रेखांकित करते हुए कहा, "मराठी में शूरता भी है, वीरता भी है। इसमें सौंदर्य, संवेदना, समानता और समरसता का संगम है। मराठी में अध्यात्म के स्वर भी हैं और आधुनिकता की लहर भी।"
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत की भाषायी विविधता ही देश की एकता का सबसे बुनियादी आधार है। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं ने हमेशा एक-दूसरे को अपनाया और समृद्ध किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने मराठी साहित्य की वैज्ञानिक और तार्किक सोच की सराहना की। उन्होंने मराठी फिल्म 'छावा' का विशेष रूप से उल्लेख किया, जो इन दिनों चर्चा में है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र ने आयुर्वेद, विज्ञान और तार्किक तर्क के क्षेत्र में अविश्वसनीय योगदान दिया है।
पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दे रही है। मराठी समेत सभी प्रमुख भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब महाराष्ट्र के छात्र मराठी भाषा में ही इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई कर सकते हैं। इससे प्रतिभाशाली छात्रों को अंग्रेजी दक्षता की बाधाओं से मुक्ति मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2027 में यह सम्मेलन 150 वर्ष पूरे करेगा और इसका 100वां संस्करण आयोजित किया जाएगा। उन्होंने आयोजकों से अभी से इसकी तैयारी शुरू करने का आग्रह किया। उन्होंने युवा पीढ़ी को भी साहित्य के प्रचार-प्रसार में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
यह तीन दिवसीय सम्मेलन 21 से 23 फरवरी तक चलेगा, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, पुस्तक प्रदर्शनियां, पैनल चर्चाएं और साहित्यिक संवाद आयोजित किए जाएंगे।
1200 प्रतिभागियों की प्रतीकात्मक साहित्यिक ट्रेन यात्रा आयोजित की जाएगी।
2600 से अधिक कविता प्रस्तुतियां, 50 पुस्तक लॉन्च और 100 पुस्तक स्टॉल लगेंगे।
भाषा संरक्षण, अनुवाद और डिजिटलीकरण जैसे विषयों पर चर्चा होगी।
इस आयोजन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार, और अन्य प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति रही।
98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन ने मराठी भाषा की समृद्ध विरासत को उजागर किया और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने के संकल्प को दोहराया। प्रधानमंत्री मोदी का भाषण इस आयोजन का मुख्य आकर्षण रहा, जिसमें उन्होंने भारतीय भाषाओं की एकता और उनकी भूमिका पर विशेष जोर दिया।
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