प्रधानमंत्री : नरेंद्र मोदी के ‘आयुष मेडिकोट्यूरिज्म’ और ‘हील इन इंडिया’ विजन के तहत भारत पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के क्षेत्र में वैश्विक आकर्षण बनता जा रहा है। राजस्थान के बूंदी स्थित पंचकर्म विशिष्टता केंद्र ने विदेशी मरीजों के लिए बेहतरीन चिकित्सा सुविधा का केंद्र साबित किया है। पिछले चार वर्षों में 26 देशों के 321 विदेशी मरीजों ने यहां आकर इलाज करवाया है।
यहां जटिल और पुरानी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को पंचकर्म चिकित्सा से त्वरित और प्रभावी राहत मिल रही है। यही कारण है कि स्थानीय मरीजों के साथ ही अन्य राज्यों और विदेशों से भी लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
फरवरी 2025 में ही देश के चार राज्यों के 11 जिलों से 1800 से अधिक मरीजों ने पंचकर्म चिकित्सा से लाभ लिया। वहीं, इज़राइल, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, इटली, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा से आए 50 से अधिक विदेशी मरीजों ने भी यहां उपचार करवाया।
बूंदी पंचकर्म केंद्र में इलाज करवाने वाले विदेशी मरीजों ने यहां की चिकित्सा प्रणाली और सुविधाओं की सराहना की है।
बूंदी पंचकर्म केंद्र में विभिन्न आयुर्वेदिक उपचारों के साथ अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों से भी रोगियों का इलाज किया जा रहा है। यहां ओस्टियोआर्थराइटिस, स्पोंडाइलोसिस, वेरिकोज वेंस, माइग्रेन, तनाव, अनिद्रा जैसे रोगों का सर्वांग अभ्यंग, स्वेदन, बस्तिकर्म, नस्यकर्म, विरेचन, रक्तमोक्षण, शिरोधारा, माइंड मसाज जैसी पद्धतियों से उपचार किया जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी के ‘हील इन इंडिया’ और ‘आयुष वीज़ा’ पहल के चलते भारत में आयुष चिकित्सा का आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है। विदेशी मरीज अब केवल एलोपैथी ही नहीं, बल्कि आयुर्वेद और पंचकर्म जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में भी रुचि ले रहे हैं।
बूंदी का पंचकर्म विशिष्टता केंद्र आयुष चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की बढ़ती साख का प्रमाण है। यह न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मरीजों को लाभ पहुंचा रहा है। आने वाले समय में यह केंद्र भारत को वैश्विक हेल्थ हब बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है।
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