भैरव सिटी का काला खेल: जोन 14 में भैरव सिटी का इकबाल कायम, आखिर क्या कारण  है कि जेडीए विभाग कार्रवाई  करने की जहमत तक नहीं उठा पा रहा है ?

 "भैरव सिटी" के नाम से वर्तमान में 16 कॉलोनी है संचालित

जेडीए कर रहा है पूरी निगरानी, कॉलोनाइजर्स को ज्यादा ना हो नुकसान,महज दिखावे की जाती है कार्रवाई

  जोन 14 में अधिकतर कॉलोनियों पर प्रवर्तन अधिकारी की मेहरबानी?



 

जयपुर

जयपुर विकास प्राधिकरण की प्रवर्तन शाखा ने बडी कार्रवाई करके पीठ थपथपाने का काम किया तो वही दूसरी तरफ जोन 14 में कार्रवाई को लेकर विसंगतियां देखने को मिल रही है।  प्रवर्तन अधिकारी द्वारा जोन 14 में अवैध कॉलोनियों पर एक बार तो कार्रवाई करके कॉलोनाइजर्स के हौसलो को पस्त करने का काम किया तो उन्ही ध्वस्त कॉलोनियों में फिर से निर्माण संचालित होने पर प्रवर्तन अधिकारी की कार्रवाइयों में शक की  स्थिति पैदा करती है।

आपको बता दे जेडीए के जोन 14 में अवैध कॉलोनियों पर लगाम लगाने में प्रवर्तन अधिकारी असमर्थ दिख रहे है ध्वस्त कॉलोनियों में निर्माण शुरू होने की शिकायते होने के बावजूद भी प्रवर्तन अधिकारी कार्रवाई करना तो दूर वहां जाने की हिमाकत भी नहीं कर पा रहे है।


जोन-14 में अधिकांश हिस्सा कृषि भूमि में आता है यहां पर कॉलोनाइजर्स द्वारा कृषि भूमि पर आवासीय कॉलोनी काट रहे है जिससे राज्य सरकार के राजस्व को बडा नुकसान पहुंच रहा है जेडीए से बिना भू-रूपांतरण करें सृजित हो रही कॉलोनियों पर एक बार तो कार्रवाई हो जाती है फिर बाद में क्या तालमेल हो जाता है जिससे कॉलोनी में निर्माण कार्य शुरू हो जाते है, जिसको लेकर लगातार सवाल उठते नज़र आ रहे हैं। 
आपको बता दे जोन-14 मे भैरव सिटी का साम्राज्य फैल रहा है, वर्तमान समय में भैरव सिटी के नाम से कृषि भूमि पर जेडीए की बिना स्वीकृति और अनुमति के बिना भू रूपान्तरण करे 16 कॉलोनियों संचालित है जेडीए में लगातार शिकायत होने पर  प्रवर्तन अधिकारी ने कार्रवाई तो की लेकिन महज दिखावे की सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भैरव सिटी के कॉलोनाइजर्स की सांठगांठ जेडीए के अधिकारियों से है जिस कारण से भैरव सिटी पर कार्रवाई कॉलोनाइजर्स को राहत देने के लिए की जाती है ताकि ज्यादा नुकसान ना हो। इसके अलावा पूर्व में भी जेडीए सचिव को भारतीय प्रेस आयोग (रजि.) ने 31 मई  को लिखित शिकायत देने के बाद जोन 14 संविदा कर्मचारी को हटाया गया।  आपको बता दें कि पूर्व में भी जॉन 14 में कार्यरत संविदा कर्मचारियों पर पत्रकारों और जेडीए अधिकारियों के नाम से पैसे लेने के आरोप लग रहे है। लेकिन उसके बाद भी जोन प्रवर्तन अधिकारी की भैरव सिटी पर कृपा दृष्टि कहीं न कहीं  सवाल उठा रही है 

 

प्रवर्तन अधिकारी की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल 

 

  • आखिर क्या कारण है कि भैरव सिटी पर कार्रवाई हुई तो वर्तमान समय में भैरव सिटी-16 तक कैसे पहुंच गई? 
  • क्या प्रवर्तन अधिकारी के पास इस सवाल का जवाब है? 
  • कार्रवाई के बाद भी भैरव सिटी के बढ़ते चरण पर रोक क्यों नहीं लगा पाये?

 

अब देखने की बात यह होगी कि  खबर प्रकाशित होने के बाद क्या उच्चाधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जाएगी अथवा मिलीभगत का यह काला खेल यूं ही लगातार चलता रहेगा ?

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