चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर की पहल पर राजकीय चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने परिपत्र जारी कर दिशा-निर्देश दिए हैं। चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी भयमुक्त वातावरण में मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा सकें, इस दृष्टि से सभी चिकित्सा संस्थाओं के प्रभारी एवं नियन्त्रण अधिकारियों को समुचित कदम उठाने के लिए विस्तृत गाइडलाइन जारी की गई हैं।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि राजकीय चिकित्सा संस्थानों में अनाधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश एवं अन्य कारणों से कई बार कार्मिकों पर हमला एवं वाद-विवाद की घटनाएं घटित हो जाती हैं। इन घटनाओं पर प्रभावी रोकथाम के लिए चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाया जा रहा है। इसके तहत सभी स्वास्थ्य कर्मियों को राजस्थान चिकित्सा परिचर्या सेवा कर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्था (हिंसा एवं सम्पत्ति का नुकसान) अधिनियम, 2008 के प्रावधानों की उचित जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही, अधिनियम के दण्डात्मक प्रावधानों को चिकित्सा संस्थानों में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शित किया जाएगा।
आपातकालीन इकाइयों, प्रवेश द्वार एवं संवेदनशील स्थानों पर राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी में उपलब्ध कोष से उच्च क्षमता वाले सीसीटीवी कैमरे लगाएं जाएंगे। यदि किसी चिकित्सालय में आरएमआरएस मद में बजट उपलब्ध नहीं होने पर सीसीटीवी कैमरे का प्रस्ताव निदेशालय को भेजा जाएगा। चिकित्सालय में उचित निगरानी रखने हेतु आरएमआरएस के माध्यम से पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित सुरक्षा गार्ड भी लगाये जाएंगे।
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि सभी प्रभारी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि सुरक्षा गार्ड द्वारा प्रवेश द्वार एवं निकासी द्वार पर निगरानी रखी जाये ताकि अधिकृत कर्मी अस्पताल में प्रवेश करेे। अधिकृत कर्मी की आसानी से पहचान के लिए उनके आईकार्ड एवं मरीज के गेट पास की जाँच कर प्रवेश दिया जाये। डयूटी के समय अस्पताल के सभी कार्मिकों द्वारा आई कार्ड लगाया जाए तथा निर्धारित गणवेश में डयूटी की जाए। मरीज से मिलने हेतु केवल एक या दो परिजनों को ही अनुमति दी जाए। मिलने का समय भी नियत किया जाए।
डॉ. माथुर ने बताया कि किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए व्यापक योजना तैयार करने, संबंधित कार्मिकों को प्रशिक्षण देने तथा मॉक ड्रिल करने के भी निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षा खतरों की पहचान करने तथा ऐसी परिस्थिति में उचित प्रतिक्रिया हेतु प्रशिक्षण देने, सार्वजनिक संबोधन प्रणाली स्थापित करने, चिकित्सालय परिसर में पर्याप्त रोशनी रखनेे, महिला स्वास्थ्य कर्मी या महिला मरीजों की विशेष सुरक्षा व्यवस्था सहित स्थानीय पुलिस से आपातकालीन सेवाओं में आवश्यक सहयोग प्राप्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
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