प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विकसित भारत में सभी के लिए सरल, सुलभ और सुगम न्याय की गारंटी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने रविवार को जोधपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली के समापन समारोह को संबोधित करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि न्यायालय न्याय की सुगमता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते रहेंगे। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर राजस्थान उच्च न्यायालय संग्रहालय का उद्घाटन एवं डिजिटल इंडिया से प्रेरित आई.टी. प्लेटफॉर्म ‘त्वरित’ का शुभारम्भ किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय का अस्तित्व भारत की एकता के इतिहास से जुड़ा हुआ है। 500 से अधिक रियासतों को एक साथ लाने में सरदार वल्लभ भाई पटेल के अविस्मरणीय योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान की विभिन्न रियासतों के उच्च न्यायालयों को एकीकृत करके राजस्थान उच्च न्यायालय अस्तित्व में लाया गया। मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय एकता भारत की न्यायिक प्रणाली की आधारशिला है और इसे मजबूत करने से राष्ट्र और इसकी व्यवस्थाएं और मजबूत होंगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि न्याय सरल और सुस्पष्ट है, लेकिन कई बार प्रक्रियाएं इसे जटिल बना देती हैं। न्याय को यथासंभव सरल और सुस्पष्ट बनाने के लिए सभी प्रयास करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने खुशी जताई कि भारत ने इस दिशा में कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। सरकार ने कई अप्रासंगिक औपनिवेशिक कानूनों को निरस्त कर दिया है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने आजादी के दशकों बाद गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलकर भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता को अपनाया है। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता ’दंड की जगह न्याय’ के आदर्शों पर आधारित है जो भारतीय चिंतन का आधार भी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय न्याय संहिता मानवीय चिंतन को आगे बढ़ाएगी। इसकी मूल भावना को ज्यादा से ज्यादा प्रभावी बनाना हमारी जिम्मेदारी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दशक में देश में तेजी से बदलाव हुए हैं। भारत 10वें स्थान से आगे बढ़कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। उन्होंने नए भारत की जरूरतों के हिसाब से नए नवाचारों और प्रणालियों के आधुनिकीकरण की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने भारत की न्यायिक प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘ई-कोर्ट’ परियोजना से देश में अब तक 18,000 से अधिक अदालतों का कम्प्यूटरीकरण किया जा चुका है और 26 करोड़ से अधिक अदालती मामलों से संबंधित जानकारी राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के माध्यम से एक केंद्रीकृत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने बताया कि 3000 से अधिक न्यायालय परिसरों और 1200 से अधिक जेलों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं से जोड़ा गया है। उन्होंने इस दिशा में राजस्थान द्वारा किए जा रहे काम की गति पर भी प्रसन्नता व्यक्त की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज देश में लागत प्रभावी और त्वरित निर्णयों के लिए ‘‘वैकल्पिक विवाद समाधान’’ तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह प्रणाली देश में ईज ऑफ़ लिविंग के साथ-साथ ईज ऑफ़ जस्टिस को भी बढ़ावा देगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि न्यायपालिका के सहयोग से ये प्रणालियां और अधिक मजबूत होंगी।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि न्यायपालिका ने राष्ट्रीय मुद्दों पर सजग और सक्रिय रहने की नैतिक जिम्मेदारी लगातार निभाई है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और सीएए कानून का उल्लेख करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों ने अनेकों बार ’राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प को और सशक्त किया है। सेकुलर सिविल कोड का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भले ही सरकार ने अब इस मामले को उठाया है, लेकिन भारत की न्यायपालिका ने दशकों से इसके पक्ष में वकालत की है। राष्ट्रीय एकता के मामलों में न्यायालय का रुख नागरिकों में विश्वास पैदा करता है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि 21वीं सदी के भारत में ‘एकीकरण’ शब्द बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। हमारा विजन है कि परिवहन के साधनों, स्वास्थ्य प्रणाली सहित देश की सभी आईटी प्रणालियों को एकीकृत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस, फोरेंसिक, प्रक्रिया सर्विस मेकैनिज्म और सर्वोच्च न्यायालय से लेकर जिला न्यायालयों तक सभी एक साथ जुड़कर काम करें। उन्होंने राजस्थान की सभी जिला अदालतों में आज शुरू की गई एकीकरण परियोजना के लिए अपनी शुभकामनाएं भी दीं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज के भारत में गरीबों के सशक्तिकरण के लिए प्रौद्योगिकी का सफल उपयोग हो रहा है, जिसको कई वैश्विक एजेंसियों और संगठनों से प्रशंसा मिली है। भारत डीबीटी से लेकर यूपीआई तक कई क्षेत्रों में एक वैश्विक मॉडल के रूप में उभरा है। न्याय प्रणाली में भी इसी अनुभव को लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग कर कानूनी दस्तावेजों और निर्णयों को स्थानीय भाषाओं में लोगों तक पहुंचाने के लिए काम किया जाना चाहिए। गरीबों को सशक्त बनाने का यह सबसे प्रभावी साधन बन सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक सॉफ्टवेयर की मदद से इसकी शुरुआत कर दी है, जिससे न्यायिक दस्तावेजों का 18 भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार दिशा नामक एक अभिनव समाधान को भी बढ़ावा दे रही है। इस अभियान में मदद करने के लिए उन्होंने कानून के छात्रों और अन्य कानूनी विशेषज्ञों को आमंत्रित किया।
प्रधानमंत्री ने राजस्थान उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली समारोह का हिस्सा बनने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय ऐसे समय में 75 साल पूरे कर रहा है, जब भारत का संविधान भी अपने 75 साल पूरे करने वाला है। यह कई महान हस्तियों की न्याय निष्ठा और योगदान का स्मरण करने का अवसर है।
प्रधानमंत्री की प्रेरणा से हुआ राजस्व मामलों में डिजिटलाइजेशन नवाचार
लोक अदालतों के जरिये लंबी कानूनी प्रक्रिया से मिली निजात
- मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय का स्वर्णिम इतिहास रहा है। इसका नाम उन 9 उच्च न्यायालयों में गर्व के साथ लिया जाता है, जिन्होंने देश में आपातकाल के दौरान भी न्याय के सिद्धांतों की रक्षा की। उन्होंने कहा कि जब आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों का हनन हो रहा था, तब इस न्यायालय ने यह सुनिश्चित किया कि व्यक्ति अपनी गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती दे सके। यह निर्णय इस बात का प्रमाण है कि न्यायालय ने हमेशा ’कानून का शासन’ का सम्मान किया है और उसकी रक्षा के लिए खड़ा रहा है।
भजनलाल शर्मा ने कहा कि राजस्थान में न्यायपालिका, कार्यपालिका तथा विधायिका बेहतर काम कर रही हैं। इसी का परिणाम है कि ढेरों मामले आपसी समझाइश से सुलझे हैं और लोगों को लंबी कानूनी प्रक्रिया से निजात मिली है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्षों पुराने कानूनों को खत्म करने, नये कानूनों से प्रक्रिया को आसान बनाने और नियमों के सरलीकरण जैसे काम किए हैं। सरलीकरण के तहत जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 के 42 केंद्रीय कानूनों में से 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त करके व्यापार करने में आसानी लाने के लिए बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मिशन कर्मयोगी के माध्यम से अधिकारियों को कानून संबंधी विषयों में विशेषज्ञता हासिल करने का मौका मिल रहा है। राजस्थान में मिशन कर्मयोगी के अंतर्गत आईगोट डिजिटल प्लेटफॉर्म पर 5 लाख 30 हजार से अधिक कार्मिक पंजीकृत हैं और 2 लाख 35 हजार से अधिक कार्मिकों द्वारा पाठ्यक्रम पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से प्रदेश में नामान्तरण को ऑनलाइन और पेपरलेस करने का काम किया गया है। साथ ही सहखातेदारों की कृषि भूमि के आपसी सहमति से विभाजन की संपूर्ण प्रक्रिया को भी ऑनलाइन किया गया है।
भजनलाल शर्मा ने कहा कि 75 वर्षों में राजस्थान उच्च न्यायालय ने अनगिनत महत्वपूर्ण फैसलों के माध्यम से देश और राज्य की न्यायिक प्रक्रिया को समृद्ध किया है। यह न्यायालय हमारे संविधान के मूल्यों, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सच्चा प्रहरी बना हुआ है।
केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि आधुनिक गणराज्य के रूप में भारत की नींव हमारा गौरवशाली संविधान है, जिसकी आधारशिला ही न्याय है।
इस अवसर पर राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, मंत्रिमंडल के सदस्यों सहित वरिष्ठ न्यायाधीश, वरिष्ठ अधिवक्ता, विधि छात्र एवं गणमान्य उपस्थित रहे।
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