मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. भारती दीक्षित ने कहा कि मानसिक रोगों के कारणों की पहचान, यथासंभव रोकथाम एवं सही उपचार के माध्यम से आत्महत्या एवं इसके कारकों में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यकता अनुसार आत्महत्या रोकथाम हेतु कदम उठाने पर बल दिया।
डॉ. दीक्षित सोमवार को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर आयोजित वीडियो कांफ्रेंस को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने आत्महत्या मुक्त राजस्थान की शपथ दिलाई एवं आमजन में जागरुकता के लिए तैयार किए गए पोस्टर एवं लघु फिल्म का विमोचन भी किया। उन्होंने वीसी में प्रतिभागी मनोरोग विशेषज्ञों से चर्चा कर आत्महत्या रोकथाम के लिए सुझाव प्रस्तुत करने की आवश्यकता व्यक्त की।
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि इस वर्ष विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की थीम 'चेंज द नरेटिव ऑन सुसाइड, स्टार्ट द कन्वर्सेशन' निर्धारित की गई है। जिलों में इस थीम पर विभिन्न जागरुकता गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
मनोचिकित्सा प्रोफेसर डॉ. विनोद दडिया ने आत्महत्या रोकथाम के लिए कोचिंग हब कोटा में अपनाए जाने वाली बेस्ट प्रेक्टिसेज एवं लर्निंग्स विषय पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कोचिंग विद्यार्थियों के व्यवहार में आने वाले परिवर्तनों व इसके मनोवैज्ञानिक कारणों, आत्महत्या के कुछ दिनों पूर्व किसी भी व्यक्ति के व्यवहार में आने वाले चेतावनी संकेतों पर भी विस्तार से चर्चा की। साथ ही, आत्महत्या रोकथाम के लिए अपनाए जाने वाले टूल्स से अवगत कराया।
वीसी में मनोरोग विशेषज्ञों ने पेनल डिस्कशन के माध्यम से चेंज द नरेटिव ऑन सुसाइड विद कॉल टू एक्शन, स्टार्ट द कन्वर्सेशन एवं आईसीएमआर द्वारा किए गए अध्ययन पर विस्तार से चर्चा कर आवश्यक सुझाव प्रस्तुत किए गए।
मिशन निदेशक ने मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के क्षेत्र में प्रभावी योगदान के लिए मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. शिव गौतम, डॉ. ललित बत्रा, डॉ. पंकज, डॉ. गुनीत इंद्रजीत कौर, डॉ. नीति रस्तोगी, डॉ. विनोद दडिया, डॉ. राकेश कुमार शर्मा, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य नोडल प्रभारी डॉ. एसएम स्वामी, सलाहकार श्री ललित त्रिपाठी एवं स्वयंसेवी संस्था एसआरकेपीएस के श्री भूपेश दीक्षित को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम में निदेशक आईईसी शाहीन अली खान, निदेशक आरसीएच डॉ. सुनीत राणावत भी उपस्थित थे। जिलों से वीसी के माध्यम से मेडिकल कालेजों के प्राचार्य, मनोरोग विभागों के अध्यक्ष, संयुक्त निदेशक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सहित ब्लॉक स्तर तक के विभिन्न अधिकारी एवं कार्मिक भी जुड़े। कार्यक्रम का संचालन टेलीमानस हैल्पलाइन की प्रोजेक्ट समन्वयक डॉ. वंदना ने किया।
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