अलवर: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को सरिस्का टाइगर रिजर्व के 1 किलोमीटर के दायरे में नोडल अधिकारी नियुक्त करने की अनुमति दे दी है। यह अधिकारी अवैध खनन से जुड़ी शिकायतों की निगरानी करेगा और उनका समाधान करेगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, यदि किसी शिकायत का निपटारा नहीं होता है, तो संबंधित पक्ष राजस्थान हाईकोर्ट में अपील कर सकता है।
सुनवाई के दौरान, राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा ने कहा कि सरिस्का टाइगर रिजर्व के 1 किलोमीटर के भीतर किसी भी प्रकार का खनन नहीं हो रहा है और वहां कड़ी निगरानी रखी जा रही है। हालांकि, जनता की शिकायतों को दूर करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। यह अधिकारी अवैध खनन से जुड़ी शिकायतों को देखेगा और आवश्यक कार्रवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि नोडल अधिकारी को अवैध खनन से जुड़ी शिकायतों की जांच और उनका निपटारा दो हफ्ते के भीतर करना होगा। अगर किसी शिकायतकर्ता को अधिकारी का निर्णय मंजूर नहीं होता है, तो राजस्थान हाईकोर्ट में अपील करने का विकल्प रहेगा।
यह आदेश याचिकाकर्ता मोशीना द्वारा दायर अर्जी पर सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि सरिस्का टाइगर रिजर्व के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) के 1 किलोमीटर के भीतर अवैध खनन जारी है, जो सुप्रीम कोर्ट के 15 मई 2024 और 21 अगस्त 2024 के आदेशों का उल्लंघन है।
राजस्थान सरकार ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। सरकार ने हलफनामे में कहा कि खनन गतिविधियां पूरी तरह से रोक दी गई हैं और खनन विभाग, वन विभाग व राजस्व विभाग की संयुक्त टीम नियमित निरीक्षण कर रही है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व राजस्थान के प्रमुख बाघ अभयारण्यों में से एक है। यह आदेश इस क्षेत्र में अवैध खनन पर रोक लगाने और वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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