जयपुर : केंद्र सरकार द्वारा गेहूं खरीद के तय मानकों में बदलाव किए जाने के बाद किसानों के बीच मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ किसान इसे राहत मान रहे हैं, जबकि कई इसके चलते परेशान नजर आ रहे हैं। सरकार ने नए नियमों के तहत गेहूं के सिकुड़े दानों की सीमा को 6% से बढ़ाकर 20% कर दिया है। इसी तरह, क्षतिग्रस्त दानों की सीमा 2% से बढ़ाकर 6% कर दी गई है, जबकि चमकविहीन दानों की सीमा 10% कर दी गई है।
श्रीगंगानगर के किसानों का कहना है कि कई इलाकों में किसानों के पास भूमि तो है, लेकिन खातेदारी न होने के कारण गिरदावरी नहीं मिल रही। ऐसे में वे सरकारी खरीद का लाभ नहीं उठा पाएंगे। मजबूरी में किसानों को निजी व्यापारियों को एमएसपी से कम कीमत पर गेहूं बेचना पड़ेगा।
किसानों ने आरोप लगाया कि गेहूं खरीद के बाद उसका उठाव काफी धीमी गति से होता है। ठेकेदार समय पर गेहूं का उठाव नहीं करते, जिससे किसानों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो तुलाई प्रक्रिया में 2-3 दिन का समय लग जाता है, जिससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है।
एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) द्वारा 10 मार्च से 30 जून तक एमएसपी पर गेहूं की खरीद की जाएगी। हालांकि, अभी तक गेहूं की कटाई पूरी तरह शुरू नहीं हुई है, इसलिए खरीद केंद्रों पर आवक कम है। सरकार ने किसानों से 25 जून तक ई-मित्र पोर्टल के जरिए पंजीयन करवाने की अपील की है, ताकि वे सरकारी खरीद का लाभ ले सकें।
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