नागौर: राजस्थान के नागौर जिले में खींवसर विधायक रेवंतराम डांगा द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र के लीक होने के मामले में भारी आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं। इस संदर्भ में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदान राठौड़ ने आज बयान दिया कि इस मामले में चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर का कोई संबंध नहीं है।
भाजपा विधायक रेवंतराम डांगा ने 30 जनवरी को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र खींवसर में अधिकारियों की नियुक्तियों को लेकर असंतोष जताया था। पत्र के लीक होने से एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। डांगा ने पत्र में आरोप लगाया कि भाजपा सरकार होने के बावजूद उनके क्षेत्र में उनकी अनुशंसाओं के विपरीत अधिकारियों की नियुक्तियां की गई हैं।
प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने स्पष्ट किया कि पत्र किसी अधिकारी के चेंबर से लीक हुआ था, जिसकी जांच की जा चुकी है। उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले में चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर का कोई लेना-देना नहीं है।
पत्र के वायरल होने के बाद, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. ज्योति मिर्धा ने कहा कि किसी विधायक का मुख्यमंत्री को पत्र लिखना उनका अधिकार है, लेकिन इसे सार्वजनिक करना अनुचित है। उन्होंने इशारों-इशारों में चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर पर आरोप लगाया, हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया।
चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि, “मैं ऐसे काम करने के लिए नहीं बैठा हूं। मेरे पास मंत्री पद की जिम्मेदारी है और इस तरह की हरकत करने का समय नहीं है।”
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के भीतर गुटबाजी की चर्चाएं तेज हो गई हैं, खासकर डॉ. ज्योति मिर्धा के कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद। इसके साथ ही, भाजपा की हार और हनुमान बेनीवाल से मिली पराजय के बाद पार्टी में असंतोष बढ़ने की बात सामने आ रही है।
यह पत्र लीक होने का मामला भाजपा के लिए एक नई चुनौती बन गया है। अब देखना यह होगा कि भाजपा इस मामले को कैसे संभालती है और क्या पार्टी के भीतर की गुटबाजी और विवाद थमते हैं।
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