नई दिल्ली: लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक (Umeed Act) पेश किया गया। इस विधेयक को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन के पटल पर रखा, जिसके बाद विपक्ष और सत्ता पक्ष के नेताओं के बीच गहमागहमी बढ़ गई। चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई, भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने-अपने तर्क रखे। इसी बीच गृह मंत्री अमित शाह और अखिलेश यादव के बीच मजाकिया लहजे में आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले, जिससे सदन में ठहाकों का दौर चल पड़ा।
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश होते ही विपक्ष ने इसका जोरदार विरोध किया। कांग्रेस, सपा और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ लाया जा रहा है और सरकार इसके जरिए वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर नियंत्रण करना चाहती है।
इस पर भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने पलटवार करते हुए कहा कि यह विधेयक पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के लिए लाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ताकतें वक्फ संपत्तियों का गलत इस्तेमाल कर रही हैं और इस पर सख्ती जरूरी है।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा पर तीखा हमला किया।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में हो रही देरी को मुद्दा बनाया और तंज कसते हुए कहा,
"जो पार्टी खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बताती है, वह अभी तक अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन पाई है।"
उन्होंने कहा कि भाजपा दूसरों को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाती है, लेकिन खुद के संगठन में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं करती।
अखिलेश की इस टिप्पणी पर सदन में जोरदार ठहाके गूंजने लगे। विपक्षी सांसदों ने इस पर मेजें थपथपाकर उनका समर्थन किया।
अखिलेश यादव के इस बयान पर गृह मंत्री अमित शाह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
"मेरे सामने जितनी भी पार्टियां हैं, उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कुछ परिवार के लोग ही करते हैं। हमें अपने 12-13 करोड़ पंजीकृत सदस्यों में से लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत अध्यक्ष चुनना होता है, इसलिए समय लग रहा है।"
शाह ने समाजवादी पार्टी के परिवारवाद पर निशाना साधते हुए कहा,
"आपको तो बस अपने परिवार के ही कुछ सदस्यों में से अध्यक्ष चुनना होता है, इसलिए आपके मामले में ज्यादा समय नहीं लगता।"
उन्होंने मजाकिया लहजे में यह भी कहा,
"मैं तो कह रहा हूं कि आप 25 साल तक अपनी पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे!"
इस पर अखिलेश यादव भी मुस्कुराते नजर आए और पूरे सदन में ठहाकों की गूंज सुनाई देने लगी।
अमित शाह और अखिलेश यादव के बीच यह मजाकिया नोकझोंक चर्चा का मुख्य आकर्षण बन गई।
लेकिन इसके बाद फिर से विधेयक पर गंभीर चर्चा शुरू हो गई।
विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को प्रभावित करेगा, जबकि सत्ता पक्ष का दावा है कि यह पारदर्शिता और सुधार लाने के लिए लाया गया है।
वक्फ संशोधन विधेयक पर अब आगे क्या फैसला होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
सरकार इसे पारित कराने के लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन विपक्ष ने इसके खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।
अगर विपक्ष का विरोध जारी रहता है, तो इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जा सकता है।
वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि यह विधेयक मुस्लिम समाज के हितों को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान राजनीतिक बयानबाजी और हास्य-व्यंग्य भी देखने को मिला।
अखिलेश यादव के तंज और अमित शाह के जवाब ने चर्चा को दिलचस्प बना दिया।
हालांकि, मुद्दा गंभीर है और इस पर आने वाले दिनों में बड़ा फैसला हो सकता है।
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