राजस्थान : में एक बड़ा प्रशासनिक मामला सामने आया है, जहां राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बिना किसी बजट मंजूरी और सरकार की स्वीकृति के 343 करोड़ रुपये का टेंडर जारी कर दिया। यह टेंडर राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड (RMSCL) द्वारा राज्य के सरकारी अस्पतालों में लगे बायो मेडिकल उपकरणों की रिपेयर और मेंटेनेंस के लिए निकाला गया है।
RMSCL ने बिना सरकार की पूर्व अनुमति और बजट स्वीकृति के यह टेंडर जारी करते हुए संबंधित एजेंसियों को वर्क ऑर्डर भी दे दिया। टेंडर की राशि लगभग 343 करोड़ रुपये है, जो एक बहुत बड़ा बजटीय फैसला है, लेकिन इसका कोई वित्तीय स्वीकृति पत्र (Financial Sanction) नहीं लिया गया।
आश्चर्यजनक रूप से, स्वास्थ्य मंत्री, वित्त विभाग, और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी इस मुद्दे पर पूरी तरह चुप हैं। न तो इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं और न ही RMSCL की जवाबदेही तय की गई है। सूत्रों के मुताबिक, टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता और तकनीकी वैधता की भी अनदेखी की गई है।
सरकारी अस्पतालों में लगे मेडिकल उपकरण जैसे वेंटिलेटर, एक्सरे मशीन, मॉनिटरिंग सिस्टम आदि की मरम्मत और देखरेख के लिए यह टेंडर जारी हुआ है। हालांकि, इस काम के लिए पहले से एक प्रणाली और बजटीय नीति निर्धारित है, जिसे नजरअंदाज किया गया।
प्रशासनिक मामलों के जानकारों का मानना है कि:
बिना बजट मंजूरी के इतना बड़ा टेंडर नियमों का सीधा उल्लंघन है।
यह भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, और सरकार को तत्काल इसकी आंतरिक जांच शुरू करनी चाहिए।
यदि सरकार ने टेंडर अप्रूव नहीं किया, तो RMSCL के अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
वर्क ऑर्डर रद्द किया जा सकता है।
पूरा मामला लोकायुक्त या भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को सौंपा जा सकता है।
राजस्थान में यह मामला दर्शाता है कि कैसे सरकारी एजेंसियां अपनी मनमर्जी से करोड़ों के निर्णय ले रही हैं और बजटीय अनुशासन को ताक पर रख रही हैं। इस प्रकार की लापरवाही न सिर्फ शासन प्रणाली को कमजोर करती है, बल्कि आम जनता के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ करती है।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.