Rajasthan Politics: 'हमारी औकात भाजपा तय नहीं करेगी', कांग्रेस राष्ट्रीय अधिवेशन में टीकाराम जूली ने दिया बड़ा बयान

राजस्थान : के अलवर जिले के श्रीराम मंदिर में हुए कथित ‘शुद्धिकरण’ के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का बयान राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने इस घटना को दलित समाज के आत्मसम्मान पर सीधा हमला बताया है और आरोप लगाया है कि भाजपा और आरएसएस दलितों को नीचा दिखाने की साजिश कर रहे हैं।


“क्या हमारी औकात वही है जो भाजपा तय करेगी?” - टीकाराम जूली का तीखा सवाल

टीकाराम जूली ने अहमदाबाद में हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान कहा:

“मैं जब अलवर के श्रीराम मंदिर में दर्शन के लिए गया तो भाजपा नेता ज्ञानदेव अहूजा ने मेरे जाने के बाद मंदिर में गंगाजल छिड़कवाया। यह सिर्फ मेरा नहीं, पूरे दलित समाज का अपमान है। क्या हमारी औकात वही है जो भाजपा और संघ तय करें?”

उन्होंने आगे कहा:

“राम हमारे भी हैं, संविधान भी हमारा है और देश भी। कोई हमें नीचा नहीं दिखा सकता।”


कांग्रेस चलाएगी दलित सम्मान को लेकर राष्ट्रीय अभियान

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी जल्द ही दलितों के आत्मसम्मान और मंदिर प्रवेश से जुड़े मामलों पर राष्ट्रीय स्तर पर अभियान शुरू करने की योजना बना रही है।
इस अभियान का उद्देश्य होगा:

  • संविधान प्रदत्त समानता को जन-जन तक पहुंचाना

  • धार्मिक स्थलों पर भेदभाव की घटनाओं को उजागर करना

  • दलित समाज के प्रतिनिधित्व को सशक्त बनाना


राहुल गांधी का भाजपा पर सीधा वार

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस घटना को लेकर भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा:

“टीकाराम जूली मंदिर में गए और भाजपा के लोगों ने मंदिर को गंगाजल से धुलवाया। यह हमारा धर्म नहीं है।
हमारा धर्म भेदभाव नहीं सिखाता। भाजपा की विचारधारा में नफरत और भेदभाव है, जबकि कांग्रेस सबको बराबरी और इज्जत देती है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा:

“आज अगर संविधान नहीं होता, तो भाजपा वैसा ही व्यवहार सभी के साथ करती जैसा उन्होंने जूली जी के साथ किया।”


विवाद का मूल कारण क्या है?

  • टीकाराम जूली ने हाल ही में अलवर स्थित एक श्रीराम मंदिर में दर्शन किए

  • दर्शन के बाद कथित तौर पर मंदिर को गंगाजल से ‘शुद्ध’ किया गया

  • भाजपा नेता ज्ञानदेव अहूजा पर यह आरोप लगा कि उन्होंने ये शुद्धिकरण करवाया।

हालांकि भाजपा की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।


निष्कर्ष:

टीकाराम जूली और राहुल गांधी के बयानों ने दलितों के सम्मान, धार्मिक भेदभाव और राजनीतिक विचारधाराओं की टकराहट को फिर से मुख्यधारा की बहस में ला दिया है।
अगर कांग्रेस इस मुद्दे पर अभियान छेड़ती है, तो यह लोकसभा चुनाव 2024 के बाद की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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