राजस्थान, अलवर: राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है, जहां बीजेपी नेता ज्ञानदेव आहूजा ने अपने हालिया विवादास्पद बयान को लेकर माफी मांगने से इनकार कर दिया है।
उन्होंने साफ कहा है कि उनका विरोध कांग्रेस नेताओं से है, दलित समुदाय से नहीं।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के श्रीराम मंदिर में जाने के बाद आहूजा ने वहां गंगाजल का छिड़काव किया, जिसे कई कांग्रेस नेताओं ने दलित विरोधी व्यवहार करार दिया।
एनडीटीवी से खास बातचीत में आहूजा ने कहा,
"मैं दलितों का समर्थक हूं। मेरे विधानसभा क्षेत्र में दलितों के लिए कई कार्य किए हैं। कांग्रेस ने रामसेतु और राम जन्मभूमि पर सवाल उठाए थे, मेरा विरोध ऐसे नेताओं से है, किसी दलित व्यक्ति से नहीं।"
ज्ञानदेव आहूजा ने टीकाराम जूली पर तंज कसते हुए सवाल किया कि
"अगर जूली खुद को दलित नेता मानते हैं तो 36 बिरादरी का समर्थन मिलने की बात क्यों करते हैं?"
उन्होंने दोहराया कि उन्होंने किसी विशेष जाति के खिलाफ कुछ नहीं कहा, बल्कि यह उनका राजनीतिक विरोध कांग्रेस से है।
बीजेपी द्वारा स्पष्टीकरण मांगे जाने पर आहूजा ने नाराजगी जताते हुए कहा,
"पार्टी को पहले मेरी बात सुननी चाहिए थी। कार्यक्रम में भंवर जितेंद्र सिंह भी आने वाले थे लेकिन विवाद के कारण नहीं आए।"
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने पार्टी को जवाब भेज दिया है, लेकिन उसका खुलासा करने से इनकार कर दिया।
अलवर के श्रीराम मंदिर में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के दर्शन के बाद ज्ञानदेव आहूजा द्वारा गंगाजल का छिड़काव किए जाने से विवाद खड़ा हो गया।
कांग्रेस नेताओं ने इसे दलित विरोधी कदम बताया जबकि बीजेपी ने खुद अपने नेता से स्पष्टीकरण मांगा।
इस पूरे घटनाक्रम से यह सवाल भी उठता है कि क्या राजस्थान में राजनीति अब केवल जातिगत ध्रुवीकरण पर केंद्रित होती जा रही है?
जहां एक तरफ दलित सम्मान की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक बयानबाज़ी में सीमाएं पार की जा रही हैं।
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