राजस्थान : के चूरू जिले के रतनगढ़ कस्बे में शुक्रवार को प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया। अचानक आए तेज़ हवाओं और धूलभरी आंधी के चलते कथा स्थल पर लगा विशाल पंडाल गिर गया। हादसे के वक्त कार्यक्रम स्थल पर लगभग 15 हजार श्रद्धालु मौजूद थे, जिससे भगदड़ की स्थिति बन गई।
इस हादसे में एक महिला, एक पुरुष और एक बच्चे के घायल होने की पुष्टि हुई है। तीनों को मौके पर पहुंची एंबुलेंस द्वारा नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उनकी हालत स्थिर बताई गई है।
सबसे गंभीर बात यह रही कि यह आयोजन प्रशासन की अनुमति के बिना ही आयोजित किया गया था।
रतनगढ़ के पुलिस क्षेत्राधिकारी अनिल कुमार ने जानकारी दी कि आयोजकों को पूर्व में ही जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन आयोजकों ने इन निर्देशों की अनदेखी की।
उपखंड अधिकारी रामकुमार ने भी पुष्टि की कि कार्यक्रम की कोई आधिकारिक अनुमति नहीं ली गई थी क्योंकि आयोजन स्थल सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर रहा था।
घटनास्थल से यह भी जानकारी सामने आई कि भगदड़ के दौरान कई महिला श्रद्धालुओं के साथ चेन स्नेचिंग की घटनाएं भी हुई हैं।
रतनगढ़ थानाधिकारी दिलीप सिंह शेखावत मय पुलिस बल के मौके पर पहुंचे और टेंट में फंसे श्रद्धालुओं को बाहर निकाला।
मौके पर सुजानगढ़ एडीएम मंगलाराम, एएसपी दिनेश कुमार, और एसडीएम रामकुमार सहित प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंच गए।
पंडाल गिरने के दौरान एक लाउड स्पीकर खंभा पास से गुजर रही बिजली की लाइन पर गिर गया, लेकिन बिजली विभाग की तत्परता से तुरंत आपूर्ति बंद कर दी गई, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया।
प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए कार्यक्रम को तत्काल प्रभाव से रद्द करवा दिया। आयोजन स्थल को खाली करवाया गया और आयोजकों के खिलाफ बिना अनुमति और सुरक्षा मानकों की अनदेखी के चलते कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि आयोजन की अनुमति किससे ली गई थी और लापरवाही किस स्तर पर हुई।
यह घटना प्रशासनिक दिशानिर्देशों की अनदेखी और लापरवाही का गंभीर उदाहरण है। धार्मिक आयोजनों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए और ऐसे आयोजनों के लिए उचित अनुमति एवं आपातकालीन व्यवस्थाओं का होना अत्यंत आवश्यक है।
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