जयपुर : राजस्थान सहित देशभर में आय से अधिक संपत्ति (Disproportionate Assets) के मामलों की जांच के दौरान भ्रष्टाचार का एक नया और हैरान करने वाला तरीका सामने आया है। अब भ्रष्ट अफसर अपनी काली कमाई को पारंपरिक संपत्ति जैसे फ्लैट, जमीन और बंगलों में नहीं, बल्कि शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और सोने में इन्वेस्ट कर रहे हैं।
एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की रिपोर्ट बताती है कि कई भ्रष्ट अधिकारी अब Demat अकाउंट्स के जरिए SIP और इक्विटी में पैसा डाल रहे हैं। यह तरीका उन्हें आय छुपाने और पैसे को वैध दिखाने में मदद करता है। इन्वेस्टमेंट की मदद से यह पैसा कुछ ही वर्षों में दो से तीन गुना बढ़ जाता है।
ब्यूरो की कई रेड में अफसरों के घर से 15 से 25 किलो तक सोना बरामद हुआ है। इनमें ज्वेलरी, सोने के सिक्के और बॉन्ड शामिल हैं, जो या तो रिश्तेदारों के नाम पर खरीदे गए या बैंक लॉकरों में छिपा कर रखे गए।
इन अफसरों की काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा बच्चों की विदेशी पढ़ाई पर खर्च हो रहा है। अमेरिका, लंदन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पढ़ाई के लिए सालाना ₹30-50 लाख की फीस तक दी जा रही है। एक केस में ACB ने पाया कि एक निलंबित अधिकारी की बेटी लंदन में ₹40 लाख वार्षिक शुल्क पर MBA कर रही थी।
सरकारी सतर्कता और रजिस्ट्रियों की निगरानी के चलते अब अफसर सीधा पैसा डिजिटल माध्यमों में लगा रहे हैं—जैसे Demat अकाउंट, mutual funds और गोल्ड ETF। ये निवेश देखने में लीगल इनकम जैसे लगते हैं, जिससे ट्रैक करना और मुश्किल हो जाता है।
इन नई चुनौतियों को देखते हुए ACB ने अब CBI और आयकर विभाग के साथ मिलकर डिजिटल वित्तीय जांच तेज कर दी है। अफसरों के PAN रिकॉर्ड, SIP हिस्ट्री, विदेश ट्रांजेक्शन और Demat एक्टिविटी को अब गहराई से स्कैन किया जा रहा है।
राजस्थान में भ्रष्टाचार का चेहरा बदल गया है, लेकिन इरादा वही है—काली कमाई को सफेद बनाना और अगली पीढ़ी को विदेश में 'सेट' करना। अब जरूरत है सख्त डिजिटल फाइनेंशियल ऑडिट और क्रॉस बॉर्डर ट्रैकिंग सिस्टम की, ताकि भ्रष्टाचार की इन नई परतों को समय रहते खोला जा सके।
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