राजस्थान में कुत्तों का आतंक, ढाई साल की बच्ची को बुरी तरह नोचा, हर महीने 1 हजार से ज्यादा को बना रहे शिकार

अलवर, राजस्थान : के अलवर जिले में आवारा कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर महीने जिला अस्पताल में 1200 से अधिक कुत्ते के काटने के मामले सामने आ रहे हैं। इस साल जनवरी से अब तक करीब 4 हजार केस दर्ज हो चुके हैं।

ताजा और रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला अलवर के नगला समावधि गांव से सामने आया है, जहां ढाई साल की मासूम बच्ची पर एक पागल कुत्ते ने हमला कर उसका चेहरा बुरी तरह नोच डाला


खेलते हुए बच्ची पर टूट पड़ा कुत्ता

गांव के राजकुमार अपनी बेटी के साथ घर के बाहर खड़े थे।

  • खेलते-खेलते बच्ची थोड़ा दूर गई और तभी

  • एक पागल कुत्ता दौड़कर उस पर टूट पड़ा।

  • उसने बच्ची के मुंह को जकड़ लिया और जबड़े के पास की त्वचा और मांस को बुरी तरह खींच लिया।

  • पास में खड़े पिता ने हिम्मत दिखाते हुए बेटी के पैरों को पकड़कर खींचा, तब जाकर बच्ची कुत्ते के मुंह से छूटी।

बच्ची के चेहरे पर 10 टांके लगे हैं और अलवर के सरकारी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है


एक व्यक्ति का कान भी नोच गया था

स्थानीय लोगों ने बताया कि उसी कुत्ते ने गांव के दो और लोगों को भी काटा, जिनमें से एक बुजुर्ग व्यक्ति का तो पूरा कान ही चबा गया
घटना के बाद ग्रामीणों ने मिलकर उस कुत्ते को मार गिराया, लेकिन यह सवाल जरूर उठा कि स्थानीय प्रशासन और पशु विभाग इस पर अब तक क्या कर रहा है?


बढ़ते केस, घटती सतर्कता

अलवर जिला अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार:

  • हर महीने औसतन 1200 केस दर्ज हो रहे हैं।

  • जनवरी से अब तक 4,000 से ज्यादा लोग कुत्तों के काटने का शिकार हो चुके हैं।

  • इनमें अधिकतर बच्चे और बुजुर्ग हैं, जो सबसे अधिक असुरक्षित माने जाते हैं।


ग्रामीणों का आक्रोश और सवाल

ग्रामीणों का कहना है कि:

"हर गली में आवारा कुत्तों के झुंड हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। प्रशासन को जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होता, तब तक नींद नहीं खुलती।"


ज़रूरी सवाल – क्या कर रहा प्रशासन?

  • क्या नगरपालिका ने आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कोई अभियान चलाया है?

  • क्या रैबीज़ के टीके और दवाएं सभी PHC व CHC में उपलब्ध हैं?

  • क्या बच्चों और अभिभावकों को सतर्क करने के लिए कोई जागरूकता अभियान चल रहा है?


निष्कर्ष:

अलवर में आवारा कुत्तों का बढ़ता खतरा न सिर्फ़ स्वास्थ्य बल्कि जन सुरक्षा का बड़ा मुद्दा बन गया है।
अब वक्त है कि प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय निकाय मिलकर इसे गंभीरता से लें।
क्योंकि अगली बार शिकार कोई और मासूम भी हो सकता है।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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