Rajasthan: विधानसभा में उठी भरतपुर को NCR और TTZ से बाहर निकालने की मांग, क्या बोल गए विधायक गर्ग; जानें

राजस्थान विधानसभा : में गुरुवार को बजट बहस के दौरान भरतपुर विधायक एवं पूर्व मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने भरतपुर को एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) और टीटीजेड (ताज ट्रेपेजियम जोन) से बाहर निकालने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि इन प्रतिबंधों के कारण भरतपुर में औद्योगिक विकास अवरुद्ध हो गया है, जिससे न केवल नए उद्योग स्थापित होने में बाधा आ रही है बल्कि पुराने उद्योग भी बंद हो गए हैं।

औद्योगिक और शैक्षिक विकास की जरूरत

डॉ. गर्ग ने भरतपुर के औद्योगिक विकास और शिक्षा की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भरतपुर संभाग मुख्यालय होते हुए भी यहां विश्वविद्यालय की कमी है, जिससे विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए अन्य शहरों में जाना पड़ता है। इससे न केवल शैक्षिक स्तर पर नुकसान हो रहा है, बल्कि आर्थिक रूप से भी छात्रों और उनके परिवारों पर बोझ बढ़ रहा है। उन्होंने भरतपुर में आईटी हब और स्पेशल इलेक्ट्रॉनिक हब विकसित करने की जरूरत बताई, ताकि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित किए जा सकें।

भरतपुर-डीग को पूरा यमुना जल मिलने की मांग

डॉ. गर्ग ने सदन में भरतपुर और डीग जिलों के लिए यमुना जल की मांग को भी प्रमुखता से उठाया। उन्होंने बताया कि 1994 के जल समझौते के तहत इन जिलों को 1281 क्यूसेक पानी मिलना तय हुआ था, लेकिन अभी केवल 800 क्यूसेक पानी ही मिल पा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से हरियाणा सरकार से बात कर भरतपुर-डीग को ओखला हैड से पूरा पानी दिलाने की अपील की।

भरतपुर के लिए अन्य महत्वपूर्ण मांगें

  1. आरबीएम अस्पताल में 10 सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं जल्द शुरू हों।
  2. ऊंदरा, बरसो और गामरी में नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले जाएं।
  3. जाटोली रथभान में एक नया ग्रिड सब-स्टेशन (GSS) स्थापित किया जाए।
  4. गांव पीपला में अस्थायी पुलिस चौकी को स्थायी किया जाए।
  5. जल जीवन मिशन की परियोजनाओं को नगरीय निकायों और पंचायतों को सौंपा जाए।

राज्य की वित्तीय स्थिति पर चिंता

वित्तीय मामलों पर बोलते हुए डॉ. गर्ग ने केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने के बाद से राज्यों की राजस्व प्राप्तियों में कमी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों को मिलने वाले वित्तीय अनुदान को 42% से घटाकर 41% कर चुकी है, जिससे राज्यों की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। उन्होंने इस हिस्सेदारी को बढ़ाने की मांग की।

कुलगुरु के नाम पर पुनर्विचार की जरूरत

डॉ. गर्ग ने हाल ही में विश्वविद्यालयों में कुलपति का नाम बदलकर कुलगुरु करने के निर्णय पर पुनर्विचार की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि कुलपति एक अस्थायी पद होता है, जबकि कुलगुरु स्थायी होता है। ऐसे में इस बदलाव पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए।

भरतपुर के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत

डॉ. सुभाष गर्ग ने भरतपुर के समग्र विकास पर जोर देते हुए सरकार से एनसीआर और टीटीजेड से इसे बाहर निकालने, यमुना जल की पूरी आपूर्ति सुनिश्चित करने, औद्योगिक और शैक्षिक संस्थानों के विकास तथा स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, ताकि भरतपुर के नागरिकों को उनका हक मिल सके।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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