पूर्व खेल मंत्री - अशोक चांदना ने समरावता गांव कांड को लेकर सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने गांव को जलाया, निर्दोष लोगों पर अत्याचार किया और अब वही पुलिस जांच भी कर रही है। उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए न्यायिक आयोग और विधानसभा कमेटी के गठन की मांग की है।
अशोक चांदना ने कहा कि समरावता गांव के लोगों पर बिना किसी गलती के पुलिस ने जुल्म किया। उन्होंने सवाल उठाया कि जो पुलिस खुद इस घटना में शामिल थी, वही जांच कैसे कर सकती है? उन्होंने न्यायिक जांच और विधानसभा कमेटी बनाने की मांग करते हुए कहा कि विपक्षी विधायकों को भी इसमें शामिल किया जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।
नरेश मीणा के मामले पर बोलते हुए चांदना ने कहा कि उनकी गलती छोटी थी, लेकिन समरावता गांव की कोई गलती नहीं थी। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अन्य नेताओं ने इस घटना पर चुप्पी क्यों साधी? उन्होंने कहा, "अगर कोई नेता जनता के लिए आवाज उठाए तो उसे स्वार्थी कहा जाता है, और अगर चुप रहे तो निष्क्रिय। ऐसे में नेताओं को क्या करना चाहिए, यह स्पष्ट होना चाहिए।"
विधानसभा गतिरोध पर उन्होंने कहा कि कुछ मंत्रियों को देश के इतिहास की सही जानकारी नहीं है। इंदिरा गांधी के योगदान पर सवाल उठाने वालों को माफी मांगनी चाहिए।
मुफ्त योजनाओं पर हो रही आलोचना पर चांदना ने कहा कि "देश का पैसा जनता के टैक्स से आता है। गांव का गरीब आदमी भी जब माचिस, साबुन या तेल खरीदता है, तो वह टैक्स देता है। अगर उसी पैसे से उसे कोई सुविधा मिल रही है, तो इसमें गलत क्या है?" उन्होंने कहा कि विकसित देशों में शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसी सुविधाएं मुफ्त होती हैं, तो भारत में यह व्यवस्था क्यों नहीं हो सकती?
आईपीएल से जुड़े विवाद पर उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल में किसी भी खिलाड़ी को आउट ऑफ टर्न नियुक्ति नहीं मिली। उन्होंने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि या तो खिलाड़ियों को नियुक्ति मिलेगी, या फिर सरकार कहे कि वे योग्य नहीं हैं।
अशोक चांदना के इन बयानों ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने सरकार को घेरते हुए समरावता कांड, नरेश मीणा का मामला, विधानसभा गतिरोध, मुफ्त योजनाओं की आलोचना और आईपीएल विवाद जैसे कई मुद्दों पर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
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