जोधपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार (28 फरवरी) को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को 30 दिन से अधिक "Awaiting Posting Orders" (APO) पर नहीं रखा जा सकता। अदालत ने आदेश दिया कि APO का उपयोग ट्रांसफर या दंड के रूप में नहीं किया जा सकता।
✔ APO अवधि अधिकतम 30 दिन होगी।
✔ APO आदेश केवल राजस्थान सेवा नियमों के तहत निर्धारित परिस्थितियों में ही जारी किए जाएंगे।
✔ मुख्य सचिव को इस संबंध में नए प्रशासनिक आदेश जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।
✔ 56 याचिकाकर्ताओं को राहत मिली, जिनमें डॉ. दिलीप सिंह चौधरी, गणराज विश्नोई, डॉ. मांगीलाल सोनी, और लक्ष्मीनारायण कुम्हार शामिल हैं।
याचिकाकर्ता डॉ. दिलीप सिंह चौधरी, जो 2015 में चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए थे, को 19 फरवरी 2024 को बिना स्पष्ट कारण APO कर दिया गया था। यह आदेश इसलिए दिया गया था ताकि तीन साल की सेवा अवधि वाले जूनियर चिकित्सक को वरिष्ठ पद पर नियुक्त किया जा सके।
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद APO आदेश पर स्टे जारी कर दिया और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि कर्मचारियों के साथ न्यायोचित व्यवहार किया जाए।
राज्य सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया कि APO आदेश प्रशासनिक आवश्यकता और जनहित को ध्यान में रखते हुए जारी किए गए थे। हालांकि, कोर्ट ने सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया और APO प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के निर्देश दिए।
इस फैसले के बाद सरकारी कर्मचारियों को अनिश्चितता की स्थिति से राहत मिलेगी और अब उन्हें 30 दिनों के भीतर पदस्थापन (Posting) मिलना अनिवार्य होगा।
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