जयपुर: राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था की खस्ताहाल स्थिति एक बार फिर सामने आई है। राज्य सरकार ने बीते 4 वर्षों में 6273 स्कूलों को क्रमोन्नत कर सी. सेकंडरी स्कूल बना दिया, लेकिन शिक्षकों के पदों का सृजन अब तक अधर में लटका हुआ है। सरकारी स्कूलों में 19,000 से अधिक व्याख्याताओं की जरूरत है, लेकिन अब तक केवल 1,746 पद ही स्वीकृत किए गए हैं।
राजस्थान के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी को लेकर अध्यापक संगठन लंबे समय से सरकार से मांग कर रहे हैं कि खाली पदों को भरा जाए। लेकिन शिक्षा विभाग की अनदेखी के कारण हजारों स्कूल बिना पर्याप्त शिक्षकों के ही संचालित हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही नए पदों के सृजन और भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। लेकिन शिक्षकों का कहना है कि यह प्रक्रिया पहले ही बहुत देर से चल रही है और इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए।
राज्य सरकार पर अब शिक्षकों और छात्रों दोनों का दबाव बढ़ गया है। यदि समय रहते पदों को भरा नहीं गया, तो शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर संकट आ सकता है। छात्रों का भविष्य दांव पर न लगे, इसके लिए शिक्षा विभाग को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी होगी।
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