मॉरीशस में PM मोदी: रक्षा से शिक्षा तक, भारत के लिए कितना अहम यह देश; कैसे यहां 70% आबादी भारतीय मूल की हुई?

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर मॉरीशस पहुंचे, जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम सहित अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। खास बात यह रही कि प्रवासी भारतीय महिलाओं ने बिहारी लोक संगीत गाकर पीएम मोदी का अभिनंदन किया।

पीएम मोदी 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। यह दिन केवल मॉरीशस के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी खास महत्व रखता है, क्योंकि इसका सीधा संबंध महात्मा गांधी से है। आइए जानते हैं, भारत और मॉरीशस का ऐतिहासिक रिश्ता, वहां भारतवंशियों की संख्या, और इस देश का राष्ट्रीय दिवस महात्मा गांधी से कैसे जुड़ा है।


मॉरीशस का इतिहास और भारतवंशियों का आगमन

मॉरीशस, पूर्वी अफ्रीका में हिंद महासागर के पश्चिमी भाग में स्थित एक द्वीप देश है। यह भौगोलिक और रणनीतिक रूप से भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हिंद महासागर में भारत के समुद्री व्यापार मार्गों के करीब स्थित है।

मॉरीशस की 12 लाख की जनसंख्या में से लगभग 70% लोग भारतीय मूल के हैं। इनमें से 48% हिंदू, 32% ईसाई, 18% मुस्लिम और 1.6% अन्य धर्मों के अनुयायी हैं।

भारतवंशियों का मॉरीशस में बसना 19वीं शताब्दी से जुड़ा है। जब ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीयों को गिरमिटिया मजदूरों के रूप में वहां भेजा गया था। 1834 में ब्रिटेन ने गुलामी प्रथा समाप्त कर दी थी, लेकिन खेतों और बागानों में काम करने के लिए श्रमिकों की जरूरत थी। इसी कारण भारत से बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और बंगाल के हजारों लोगों को अनुबंधित मजदूरी (गिरमिटिया मजदूर) के तहत मॉरीशस भेजा गया।

यहां आने के बाद भारतीयों ने कठिनाइयों का सामना करते हुए मॉरीशस की अर्थव्यवस्था और समाज में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज भारतीय मूल के लोग मॉरीशस के राजनीति, प्रशासन, व्यापार और संस्कृति में अहम भूमिका निभा रहे हैं।


महात्मा गांधी और मॉरीशस का ऐतिहासिक संबंध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस राष्ट्रीय दिवस समारोह में हिस्सा लेंगे, वह महात्मा गांधी से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है।

1901 में, जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ सफल आंदोलन के बाद भारत लौट रहे थे, तो वे कुछ समय के लिए मॉरीशस में रुके थे। इस दौरान, उन्होंने वहां भारतवंशियों से मुलाकात की और तीन महत्वपूर्ण संदेश दिए:

  1. शिक्षा का महत्व – भारतीयों को शिक्षित होकर आगे बढ़ना चाहिए।
  2. राजनीतिक सशक्तीकरण – मॉरीशस के भारतीयों को अपने अधिकारों के लिए संगठित होना चाहिए।
  3. भारत से जुड़े रहना – अपनी जड़ों को न भूलें और भारत के साथ संबंध बनाए रखें।

गांधी के ये विचार आगे चलकर मॉरीशस में भारतीय मूल के लोगों के राजनीतिक और सामाजिक उत्थान का आधार बने। इसी कारण मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस को महात्मा गांधी के विचारों से जोड़कर देखा जाता है।


भारत और मॉरीशस के रिश्तों की अहमियत

भारत और मॉरीशस के संबंध सिर्फ ऐतिहासिक नहीं, बल्कि आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक स्तर पर भी बहुत मजबूत हैं।

  1. आर्थिक सहयोग – भारत मॉरीशस को बुनियादी ढांचे, शिक्षा, तकनीक और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सहयोग देता है।
  2. सांस्कृतिक जुड़ाव – मॉरीशस में भारतीय त्योहारों, भाषा (हिंदी, भोजपुरी, तमिल), और परंपराओं का गहरा प्रभाव है।
  3. रणनीतिक साझेदारी – हिंद महासागर में स्थित होने के कारण, मॉरीशस भारत की समुद्री सुरक्षा और व्यापार मार्गों के लिए महत्वपूर्ण है।

भारत मॉरीशस में कई विकास परियोजनाओं में सहयोग कर रहा है, जैसे कि मेट्रो प्रोजेक्ट, जल संसाधन प्रबंधन और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर


निष्कर्ष

भारत और मॉरीशस का रिश्ता सिर्फ कूटनीतिक साझेदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, विरासत और इतिहास की गहरी जड़ों से जुड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है। मॉरीशस का राष्ट्रीय दिवस महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित है, और यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति और मूल्य कैसे वैश्विक स्तर पर प्रभावी रहे हैं।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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