नई दिल्ली: राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के एक बयान पर जमकर हंगामा हुआ। यह विवाद तब शुरू हुआ जब शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा चल रही थी और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को बोलने का मौका दिया गया। इसी दौरान खरगे के एक शब्द पर सत्ता पक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई, जिसके बाद सदन में भारी हंगामा देखने को मिला।
दरअसल, जब दिग्विजय सिंह चर्चा के लिए खड़े हुए, तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि "हम चर्चा के लिए पूरी तैयारी से आए हैं..." इसी दौरान उन्होंने एक शब्द का इस्तेमाल किया, जिसे लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कड़ा विरोध जताया। नड्डा ने आरोप लगाया कि खरगे ने राज्यसभा अध्यक्ष की पीठ का अपमान किया है और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।
खरगे ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने अध्यक्ष के खिलाफ नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों के खिलाफ बात कही थी। हालांकि, उपसभापति हरिवंश ने स्थिति को संभालते हुए कहा कि असंसदीय शब्द को सदन की कार्यवाही से हटा दिया जाएगा।
जेपी नड्डा ने सदन में कहा, "यह बहुत ही दुखद है कि इतने अनुभवी नेता होकर भी खरगे जी ने इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया। यह अति निंदनीय है।" नड्डा ने इस बयान को असंसदीय बताते हुए माफी की मांग की, जिस पर कांग्रेस सांसदों ने विरोध जताया।
खरगे ने माहौल को शांत करने के लिए कहा, "अगर मेरी बातों से सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है, तो मैं माफी मांगता हूं। लेकिन मैंने जो कहा, वह सरकार की नीतियों को लेकर था, किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं।"
खरगे के माफी मांगने के बावजूद भाजपा सांसदों ने उनके बयान पर नाराजगी जाहिर की, जबकि कांग्रेस और विपक्षी दलों ने उनके समर्थन में नारेबाजी की। इस दौरान खरगे ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि "जनता के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाली नीतियों पर कोई सवाल नहीं उठाना चाहता, लेकिन जब विपक्ष कुछ बोलता है, तो उसे दबाने की कोशिश की जाती है।"
इस पूरे घटनाक्रम के बाद सदन की कार्यवाही बाधित हुई और उपसभापति को हस्तक्षेप कर माहौल शांत करना पड़ा। हालांकि, शिक्षा मंत्रालय पर चर्चा पूरी नहीं हो सकी और सदन को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा।
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