भारत : की न्यायपालिका में एक नया अध्याय शुरू हुआ जब जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (BR Gavai) ने देश के 52वें प्रधान न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार सुबह राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक गरिमामयी समारोह में उन्हें शपथ दिलाई।
जस्टिस गवई ने हिंदी में शपथ ली, जो देश की विविधता और न्यायपालिका की समावेशिता को दर्शाता है। उनका कार्यकाल 6 महीने से अधिक समय का होगा और वह 23 नवंबर 2025 तक इस पद पर बने रहेंगे।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में कई गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की, जिनमें शामिल थे:
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
गृह मंत्री अमित शाह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के मौजूदा और पूर्व जज
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 16 मार्च 1985 को बार में प्रवेश किया और अपने करियर की शुरुआत बॉम्बे हाई कोर्ट में दिवंगत राजा एस. भोंसले (पूर्व महाधिवक्ता) के अधीन की।
1987 से 1990 तक, उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की और बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में अपनी सेवाएं दीं। उनके कानूनी विशेषज्ञता क्षेत्रों में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून शामिल हैं।
जस्टिस गवई का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा। वह जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान ले रहे हैं, जो 65 वर्ष की आयु पूरी करने पर सेवानिवृत्त हुए हैं। जस्टिस गवई अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से आने वाले देश के दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं। इससे पहले जस्टिस केजी बालकृष्णन 2007 से 2010 तक CJI के पद पर रह चुके हैं।
जस्टिस गवई ने अपने करियर में विभिन्न नगर निगमों, संस्थानों और स्वायत्त निकायों के लिए स्थायी वकील के रूप में कार्य किया है। इनमें नागपुर और अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय शामिल हैं। उन्होंने SICOM और DCVL जैसी संस्थाओं का भी प्रतिनिधित्व किया है।
उनकी विशेषज्ञता संवैधानिक और प्रशासनिक कानून में है, और वह न्यायिक फैसलों में अपनी निष्पक्षता और कानूनी सूझबूझ के लिए जाने जाते हैं।
जस्टिस गवई एससी समुदाय से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश बने हैं। इससे पहले जस्टिस केजी बालकृष्णन इस सम्मानित पद पर आसीन हो चुके हैं। यह न्यायपालिका में विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देता है, जो संविधान की आत्मा का प्रतीक है।
जस्टिस गवई के नेतृत्व में भारतीय न्यायपालिका से उम्मीदें हैं कि वह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा, न्याय की त्वरित उपलब्धता और पारदर्शिता को बढ़ावा देंगे।
उनकी विशेषज्ञता और अनुभव से न्यायपालिका को एक संतुलित और संवेदनशील नेतृत्व मिलेगा, जो सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करेगा।
जस्टिस बीआर गवई का मुख्य न्यायाधीश बनना भारतीय न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। उनका कानूनी अनुभव और संवैधानिक कानून में गहरी समझ देश की न्यायपालिका को सशक्त बनाएगी। उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट से संवैधानिक और महत्वपूर्ण मामलों पर प्रभावी निर्णयों की उम्मीद की जा रही है।
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