राजस्थान : के बारां जिले में कुपोषण की वापसी हो गई है, जो राज्य और केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं पर सवाल खड़े कर रही है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 तक जिले में 1874 बच्चे कुपोषित और 532 बच्चे अति कुपोषित पाए गए हैं।
वर्ष 2023 से 2025 तक जिले में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या निम्नलिखित है:
वर्ष | कुपोषित बच्चे | अति कुपोषित बच्चे |
---|---|---|
2023 | 2363 | 521 |
2024 | 1897 | 608 |
2025 | 1874 | 532 (मार्च तक) |
अन्ता: 12 बच्चे अति कुपोषित
अटरू: 35 बच्चे अति कुपोषित
बारां: 14 बच्चे अति कुपोषित
छबड़ा: 0 बच्चे अति कुपोषित
छीपाबड़ौद: 4 बच्चे अति कुपोषित
किशनगंज: 248 बच्चे अति कुपोषित
शाहाबाद: 219 बच्चे अति कुपोषित
राज्य सरकार और केंद्र सरकार कुपोषण को कम करने के लिए कई प्रयास कर रही हैं:
आंगनबाड़ी और मां बाड़ी केंद्रों में पोषाहार: बच्चों को पौष्टिक भोजन और दूध दिया जा रहा है।
स्कूलों में मिड-डे मील योजना: बच्चों को हरी सब्जियां, दालें और दूध उपलब्ध कराया जा रहा है।
खाद्य सुरक्षा योजना: जरूरतमंद परिवारों को सस्ते दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है।
निजी संस्थाओं की सेवाएं: कुछ क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता का पोषण देने के लिए निजी संस्थाओं की मदद ली जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा योजनाओं के बावजूद कुपोषण की समस्या बढ़ती जा रही है क्योंकि:
निगरानी और मूल्यांकन का अभाव है।
पोषाहार की गुणवत्ता और मात्रा सुनिश्चित नहीं है।
दूरदराज के क्षेत्रों तक सेवाएं प्रभावी रूप से नहीं पहुंच पा रही हैं।
कुपोषित बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हो रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कुपोषण और अति कुपोषण पर नजर रखने के लिए ब्लॉक से लेकर राज्य स्तर तक अलग से निगरानी यूनिट बनाई जानी चाहिए।
प्रत्येक ब्लॉक में कुपोषित बच्चों की नियमित पहचान और स्वास्थ्य जांच।
पोषाहार वितरण की निगरानी और गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
नियमित रिपोर्टिंग और समीक्षा से समस्या की पहचान।
गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के लिए विशेष आहार योजना।
प्रत्येक ब्लॉक में कुपोषण निगरानी यूनिट स्थापित की जाए।
आंगनबाड़ी और मिड-डे मील की गुणवत्ता बढ़ाई जाए।
कुपोषण प्रभावित क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के लिए विशेष चिकित्सा सुविधा हो।
राजस्थान के बारां जिले में कुपोषण की स्थिति चिंताजनक है। सरकारी प्रयासों के बावजूद कुपोषण का बढ़ना यह बताता है कि निगरानी और सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, कुपोषण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए राज्य और जिला स्तर पर निगरानी यूनिट बनाना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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