जयपुर। राजस्थान के बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी खतरे में पड़ गई है। एसडीएम को पिस्टल दिखाने के मामले में ट्रायल कोर्ट से मिली 3 साल की सजा को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा और सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। अब कानूनी विकल्पों के तहत राज्यपाल से सजा माफी की संभावना पर विचार किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी ने मीणा की सदस्यता बचाने के लिए कानूनी स्तर पर मंथन तेज कर दिया है। पार्टी चाहती है कि राज्यपाल के विशेषाधिकार का उपयोग कर सजा माफ कर दी जाए, जिससे उनकी विधायकी बचाई जा सके।
बुधवार को कंवरलाल मीणा को कोर्ट में सरेंडर करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल और हाईकोर्ट के फैसलों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिससे उन्हें कारावास की सजा भुगतनी पड़ सकती है। संविधान के अनुसार, दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर विधायक की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है।
इस बीच, बीजेपी खेमे में यह उम्मीद की जा रही है कि राज्यपाल अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर सजा माफ कर सकते हैं। इससे पहले गुजरात और उत्तर प्रदेश में ऐसे उदाहरण मिल चुके हैं, जहां राज्यपाल ने राजनीतिक हस्तियों को सजा से राहत दी थी। ऐसे में राजस्थान में भी इसी रास्ते पर विचार किया जा रहा है।
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि:
“राज्यपाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 161 के तहत माफी, रहम, या सजा में कमी का अधिकार है। परंतु यह केंद्र और राज्य के बीच सलाह और प्रक्रिया पर निर्भर करता है।”
विपक्षी दलों ने इस पूरे घटनाक्रम पर बीजेपी की नीयत पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि, "भ्रष्टाचार और अपराधियों को संरक्षण देने वाली पार्टी अब कानून का दुरुपयोग कर रही है।"
निष्कर्ष:
बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी पर मंडरा रहा संकट अब राज्यपाल की मंशा और संवैधानिक व्याख्या पर निर्भर करता है। क्या सजा माफी की रणनीति रंग लाएगी, यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।
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