जांच में यह भी सामने आया कि शर्मा शराब के बड़े शौकीन थे और अक्सर कहते थे,
“पैसों की कोई सीमा नहीं है, भय बिना प्रीत नहीं होती।”
यह कथन उनके भ्रष्टाचार के मनोभाव को उजागर करता है, जहां वे रिश्वत और दबाव के जरिए काम करवाते थे।
जनवरी में हुई जांच के दौरान सुरेंद्र शर्मा की गतिविधियों पर गहराई से नजर रखी गई, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। एसीबी के अधिकारी इस मामले को लेकर गंभीर हैं और जांच जारी है।
एसीबी के पास मौजूद कॉल रिकॉर्डिंग से पता चला कि शर्मा ने कई बार दलालों से फोन पर बातचीत कर रिश्वत की रकम तय की और जांच एजेंसियों को प्रभावित करने की साजिश रची। इनके मोबाइल फोन से प्राप्त डेटा ने भ्रष्टाचार की पूरी गुत्थी सुलझाई है।
यह मामला राजस्थान प्रशासन के लिए एक बड़ा झटका है। ऐसे उच्च पदस्थ अधिकारी जिनपर जनता का विश्वास होता है, यदि भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाएं तो शासन-प्रशासन की छवि पर प्रश्नचिह्न लग जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई और कड़े नियम लागू करना जरूरी है ताकि भविष्य में इस तरह के कृत्यों को रोका जा सके।
एसीबी के एडिशनल एसपी सुरेंद्र शर्मा की गिरफ्तारी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है। जांच के दौरान जो भी तथ्य सामने आए हैं, वे प्रशासन की सच्चाई को उजागर करते हैं।
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