राजस्थान की मासूमी पटवा का आध्यात्मिक निर्णय: 19 साल की उम्र में छोड़ा सांसारिक जीवन, बनेंगी जैन साध्वी

राजस्थान : के जोधपुर से एक प्रेरणादायक खबर सामने आई है, जहां 19 वर्षीय मासूमी पटवा ने सांसारिक मोह-माया को त्यागते हुए जैन साध्वी बनने का निर्णय लिया है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद पुणे से एक वर्ष का जैनोलॉजी कोर्स पूरा कर चुकी मासूमी अब 5 जून 2025 को आधिकारिक रूप से दीक्षा ग्रहण करेंगी।


जोधपुर बनेगा आध्यात्मिक आयोजन का केंद्र

जोधपुर में आगामी एक पखवाड़े में एक विशाल धार्मिक आयोजन होने जा रहा है, जहां 5 से अधिक मुमुक्षु बेटियां दीक्षा लेकर साध्वी बनेंगी। इन दीक्षा समारोहों की भव्यता किसी राजस्थानी पारंपरिक विवाह समारोह से कम नहीं होती। मेहंदी, बंदोली, और धार्मिक शोभा यात्राएं इस आयोजन का हिस्सा हैं।


शिक्षा से साधना तक: मासूमी का सफर

मासूमी पटवा, जोधपुर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र की निवासी हैं। उन्होंने बताया कि बचपन से ही उनका परिवार धार्मिक विचारधारा से जुड़ा रहा है। उनके दादा-दादी और नाना-नानी पक्ष से कई साधु-साध्वियां समाज को मार्गदर्शन दे चुके हैं।

पुणे में जैनोलॉजी का कोर्स करने के दौरान जब वे आचार्य हीराचंद जी महाराज साहब और आचार्य महेंद्रमुनि जी महाराज के संपर्क में आईं, तो उन्हें जीवन की गहराई और संयम का महत्व समझ में आया। यहीं से उनके जीवन में दीक्षा के भाव जागे।


संयम में ही है सच्चा आनंद: मासूमी पटवा

मासूमी ने बताया कि एक शिविर में महाराज साहब ने जब सांसारिक जीवन की क्षणभंगुरता और अस्थिरता के बारे में बताया, तो उन्हें महसूस हुआ कि सच्चा सुख भोग में नहीं बल्कि संयम में है

"संसार में क्षणिक सुख है, लेकिन संयम में शाश्वत शांति।" – मासूमी पटवा

उन्होंने यह भी साझा किया कि भले ही शुरुआत में साधु-साध्वियों से अधिक मेल-मुलाकात नहीं थी, लेकिन परिवार के संस्कारों ने उनके मन में यह बीज पहले ही बो दिया था।


युवाओं के लिए प्रेरणा

मासूमी पटवा जैसी युवा मुमुक्षु बेटियां यह साबित कर रही हैं कि विकसित सोच और शिक्षा के साथ जब आध्यात्मिक दृष्टि जुड़ती है, तो व्यक्ति अपने जीवन का सही उद्देश्य पहचान लेता है। 19 वर्ष की आयु में उन्होंने जो निर्णय लिया है, वह लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरक उदाहरण है।


निष्कर्ष

मासूमी पटवा का यह कदम आज की युवा पीढ़ी में वैराग्य और आध्यात्मिकता को एक नया आयाम देता है। जहां एक ओर दुनिया भौतिकता की ओर बढ़ रही है, वहीं मासूमी जैसी बेटियां यह दिखा रही हैं कि संयम, आत्मज्ञान और मोक्ष का मार्ग भी आज की पीढ़ी को आकर्षित कर रहा है। जोधपुर का यह दीक्षा महोत्सव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण का पर्व है।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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