अजमेर में स्कूल संचालक से 1.55 करोड़ की ठगी: रेलवे कर्मचारी और पत्नी ने जमीन आवंटन का झांसा देकर रची साजिश

अजमेर (राजस्थान): भारतीय रेलवे के अजमेर डीजल लोको शेड में कार्यरत एक सरकारी कर्मचारी और उसकी पत्नी पर स्कूल संचालक से 1.55 करोड़ रुपए की ठगी करने का गंभीर मामला सामने आया है। आरोपी दंपती ने खुद को रेलवे के उच्च अधिकारियों से जुड़ा बताते हुए रेलवे भूमि विकास बोर्ड से सरकारी जमीन आवंटित करवाने का झांसा दिया।


कैसे रची गई ठगी की साजिश?

पीड़ित स्कूल संचालक ने पुलिस में दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया कि आरोपी सरकारी कर्मचारी ने खुद को रेलवे भूमि विकास बोर्ड से जुड़ा बताते हुए विशेष संबंधों का हवाला दिया। जमीन अलॉट करवाने का भरोसा दिलाया और अलग-अलग किश्तों में ₹1.55 करोड़ की रकम ले ली।

प्रारंभिक जांच में पता चला कि आरोपी की पत्नी ने भी पूरे मामले में सक्रिय भूमिका निभाई और पीड़ित को बार-बार आश्वासन देती रही कि ‘फाइल प्रोसेस में है’ और ‘जल्द जमीन अलॉट हो जाएगी।’


पीड़ित की शिकायत पर मामला दर्ज

ठगी का एहसास होने पर स्कूल संचालक ने जब अपने पैसे वापस मांगे, तो आरोपी टालमटोल करने लगा। आखिरकार मामला अजमेर के स्थानीय थाने तक पहुंचा और पुलिस ने धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में केस दर्ज कर लिया।

एफआईआर में दर्ज मुख्य धाराएँ:

  • IPC 420: धोखाधड़ी

  • IPC 406: आपराधिक विश्वासघात

  • IPC 120B: आपराधिक षड्यंत्र


पुलिस की कार्रवाई और जांच

अजमेर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी सरकारी कर्मचारी और उसकी पत्नी को हिरासत में लिया है। दोनों से पूछताछ जारी है और रकम के लेन-देन की विस्तृत जानकारी इकट्ठा की जा रही है।

थाना प्रभारी ने कहा:
“आरोपियों ने पीड़ित को सरकारी प्रक्रिया और अधिकारियों से संपर्क की झूठी कहानी सुनाकर ठगा। डिजिटल और बैंकिंग ट्रांजेक्शन की जांच की जा रही है।”


क्या है रेलवे भूमि विकास बोर्ड?

रेलवे भूमि विकास बोर्ड (Rail Land Development Authority - RLDA) का दायित्व रेलवे की अप्रयुक्त भूमि का व्यावसायिक उपयोग सुनिश्चित करना है। इस प्राधिकरण के ज़रिए जमीन का आवंटन नीतिगत प्रक्रिया के तहत होता है, जिसमें किसी भी व्यक्ति का निजी हस्तक्षेप नहीं हो सकता।

इस मामले में आरोपी ने इसी प्रक्रिया को तोड़-मरोड़कर एक नकली कनेक्शन बनाकर ठगी की साजिश रची।


आगे क्या?

  • पुलिस अब आरोपियों के बैंक खातों को फ्रीज करने की तैयारी कर रही है

  • पीड़ित की राशि की रिकवरी के लिए कोर्ट से विशेष अनुमति ली जाएगी

  • आरोपी के रेलवे विभाग में कामकाज की भी जांच की जा रही है


निष्कर्ष:
इस प्रकरण ने एक बार फिर साबित किया कि 'सरकारी कनेक्शन' और 'सस्ती जमीन' जैसे लालच से आम नागरिकों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। भरोसे के नाम पर बड़े घोटाले कैसे अंजाम दिए जाते हैं, यह मामला उसकी जीवंत मिसाल है।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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