डोल का बाढ़ संघर्ष समिति: के नेतृत्व में पिछले एक महीने से लगातार आंदोलन किया जा रहा है। समिति का कहना है कि डोल का बाढ़ वन क्षेत्र, जो जैव विविधता से भरपूर है, उसे अंधाधुंध विकास परियोजनाओं के नाम पर नष्ट किया जा रहा है। पेड़ों की कटाई से पर्यावरण असंतुलन और जैविक खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।
डोल का बाढ़ जयपुर के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित एक महत्वपूर्ण शहरी वन क्षेत्र है। यह इलाका शहर के तापमान को नियंत्रित करने, जैव विविधता को संरक्षित रखने और स्थानीय लोगों को शुद्ध हवा प्रदान करने में अहम भूमिका निभाता है।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि पुलिस प्रशासन आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रहा है। कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों को रोका गया और हिरासत में भी लिया गया। संघर्ष समिति के संयोजक रवि शर्मा ने बताया कि, "हम शांतिपूर्ण तरीके से अपने जंगल को बचाने के लिए आवाज उठा रहे हैं, लेकिन प्रशासन हमें डराने की कोशिश कर रहा है।"
प्रदर्शन में शामिल पर्यावरण कार्यकर्ता, छात्रों और बुजुर्गों ने एक सुर में कहा कि, "हम विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन विकास के नाम पर पेड़ों की बलि देना गलत है। सरकार को वैकल्पिक योजनाओं पर विचार करना चाहिए।"
जयपुर का डोल का बाढ़ वन क्षेत्र न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और जैविक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो शहर को भविष्य में गंभीर पारिस्थितिकीय संकटों का सामना करना पड़ सकता है। जनआंदोलन इस बात का संकेत है कि लोग अब अपने पर्यावरण के प्रति सजग हो रहे हैं, और सरकार को इन मांगों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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