बृजभूषण शरण सिंह पॉक्सो केस से बरी: नाबालिग वाली FIR झूठी निकली, परिवार ने कोर्ट में मानी साजिश

नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को पॉक्सो केस से क्लीन चिट मिल गई है। यह फैसला तब आया जब शिकायतकर्ता महिला पहलवान, उनके पिता, और दादा-दादी ने अदालत में स्वेच्छा से स्वीकार किया कि उन्होंने झूठा मामला दर्ज कराया था।

उन्होंने कहा कि उनकी पोती नाबालिग नहीं थी और उन्हें बहकाया गया था कि FIR दर्ज कराएं। इस कबूलनामे के बाद पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामला रद्द कर दिया गया है।


क्या था मामला?

2023 में महिला रेसलर्स के एक समूह ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे। इसी कड़ी में एक महिला पहलवान के परिवार ने दावा किया था कि उनकी पोती नाबालिग है और उसके साथ यौन दुर्व्यवहार हुआ है, जिसके आधार पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया।

बृजभूषण ने शुरू से ही इन आरोपों को नकारा और कहा कि यह सब भारतीय कुश्ती महासंघ पर कब्जा करने की साजिश है।


अदालत में क्या हुआ?

28 मई 2025 को अदालत में पेशी के दौरान लड़की के पिता ने कहा:

"हमसे बहकावे में आकर केस दर्ज कराया गया। हमारी बेटी नाबालिग नहीं थी। हम इस मामले से अलग होना चाहते हैं।"

इसके साथ ही दादा-दादी और खुद महिला पहलवान ने भी बयान दर्ज कराते हुए कहा कि उन्हें गलत जानकारी दी गई थी और मामला भावनात्मक दबाव में दर्ज कराया गया।


बृजभूषण बोले- "सच की जीत हुई है"

फैसले के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा:

"मैं पहले दिन से जानता था कि ये केस नहीं टिकेगा। ये सब राजनीति और कुश्ती महासंघ की कुर्सी को लेकर साजिश थी। मुझे खुशी है कि आज सच सामने आ गया है।"


विरोधियों पर तीखा हमला

बृजभूषण ने संकेत दिया कि उनके विरोधियों ने जानबूझकर महिला पहलवानों को मोहरा बनाया, ताकि उन्हें WFI की अध्यक्षता से हटाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि अब वह कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और मानहानि का केस भी दायर कर सकते हैं।


कुश्ती महासंघ की राजनीति में बड़ा मोड़

यह फैसला न केवल बृजभूषण के लिए राहत की खबर है, बल्कि भारतीय कुश्ती महासंघ की अंदरूनी राजनीति में भी बड़ा बदलाव ला सकता है। WFI के नए नेतृत्व पर भी सवाल उठने लगे हैं कि कहीं यह सब एक पूर्व-नियोजित साजिश तो नहीं थी?


निष्कर्ष

पॉक्सो एक्ट जैसे संवेदनशील कानून का दुरुपयोग करने का यह मामला एक गंभीर चेतावनी है कि कैसे कानून का इस्तेमाल व्यक्तिगत और राजनीतिक एजेंडा पूरा करने के लिए किया जा सकता है। अब जब कोर्ट ने बृजभूषण को क्लीन चिट दे दी है, तो सवाल यह है—क्या अब दोषियों पर कार्रवाई होगी जो झूठ फैलाने में शामिल थे?

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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