जयपुर फैमिली कोर्ट का बड़ा फैसला, 15 साल तक पत्नी ने नहीं बनाए फिजिकल रिलेशन, कोर्ट ने कहा- इससे पति का मानसिक संतुलन भी प्रभावित हुआ

जयपुर | जयपुर के महानगर प्रथम फैमिली कोर्ट-4 ने वैवाहिक विवाद से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि शादी के बाद बार-बार शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने इस आधार पर पति की तलाक अर्जी को स्वीकार कर विवाह विच्छेद की मंजूरी दी।


15 साल तक पत्नी ने नहीं बनाए फिजिकल रिलेशन, पति हुआ मानसिक रूप से परेशान

इस केस में पति ने कोर्ट में बताया कि शादी के 15 वर्षों में पत्नी ने कभी भी स्वेच्छा से शारीरिक संबंध नहीं बनाए। कई बार आग्रह करने पर उसने टाल-मटोल की और बाद में साफ इनकार कर दिया। इससे पति को मानसिक, भावनात्मक और वैवाहिक तौर पर गंभीर तनाव का सामना करना पड़ा।

पति का बयान:
"मेरे साथ 15 सालों तक केवल एक औपचारिक रिश्ता रखा गया। मैं एक सामान्य वैवाहिक जीवन जीना चाहता था, लेकिन मुझे हमेशा अवहेलना और अस्वीकार का सामना करना पड़ा।"


कोर्ट ने क्या कहा?

न्यायाधीश पवन कुमार की अध्यक्षता में दिए गए इस फैसले में कहा गया:

“शादी सिर्फ सामाजिक अनुबंध नहीं है, बल्कि यह भावनात्मक और शारीरिक जुड़ाव की अपेक्षा पर भी आधारित होती है। यदि कोई पक्ष जानबूझकर दूसरे पक्ष की वैवाहिक आवश्यकताओं की अवहेलना करता है, तो वह मानसिक क्रूरता मानी जाएगी।”


कानूनी पृष्ठभूमि और तलाक का आधार

भारतीय हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(i-a) के तहत, यदि कोई पति या पत्नी दूसरे को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता है, तो यह तलाक का वैध आधार बन सकता है। इस केस में कोर्ट ने माना कि:

  • पत्नी का व्यवहार बार-बार टालने वाला और असहयोगात्मक था।

  • पति की वैवाहिक ज़रूरतों को लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया।

  • इससे उसका आत्मविश्वास, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन प्रभावित हुआ।


क्या कहता है समाज और मनोविज्ञान?

मानसिक क्रूरता के मामले अक्सर शारीरिक हिंसा की तुलना में कम सामने आते हैं, लेकिन मनोवैज्ञानिक रूप से यह भी उतनी ही गंभीर होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक स्वस्थ वैवाहिक जीवन के लिए दोनों पक्षों का सहयोग आवश्यक है।


तलाक के बाद क्या हुआ?

कोर्ट ने पति-पत्नी दोनों की सहमति और पक्षों के बयान सुनने के बाद, विवाह को समाप्त घोषित कर दिया। दोनों पक्ष अब स्वतंत्र हैं और कोई अपील नहीं की गई।


निष्कर्ष:

यह फैसला भारतीय न्यायिक व्यवस्था में एक उदाहरण है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि शारीरिक संबंधों से लगातार इनकार केवल वैवाहिक असहमति नहीं, बल्कि मानसिक क्रूरता का रूप भी हो सकता है। यह उन कई लोगों के लिए मिसाल है जो ऐसे रिश्तों में फंसे हैं जहां सम्मान और सहयोग की कमी है।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

Related News

All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.

BREAKING NEWS
राजस्थान के कांग्रेस नेता का पूर्व PA निकला पाकिस्तानी जासूस: सरकारी कर्मचारी शकूर खान गिरफ्तार, पाक अधिकारी और यूट्यूबर से था संपर्क | पंजाब और राजस्थान के राज्यपाल 4-5 जून को उदयपुर में: पंडित दीनदयाल उपाध्याय की हीरक जयंती समारोह में लेंगे हिस्सा | महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव अरूणा गौड़ ने थामा बीजेपी का दामन: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से हुईं प्रेरित, 200 से अधिक महिलाओं के साथ जॉइन की बीजेपी | राजस्थान राजनीति: जोधपुर में अशोक गहलोत का डोनाल्ड ट्रंप पर हमला, कहा- 'कश्मीर मुद्दे पर कोई पंचायती ना करे' | बीकानेर में गरजे पीएम मोदी: "भारत पर आतंकी हमला हुआ तो शर्तें हमारी सेनाएं तय करेंगी" | SDM पर पिस्तौल तानी, विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी बचाने की माफी में क्या है राज्यपाल की भूमिका? एक्सपर्ट से जानिए पूरा नियम | डोटासरा बोले-विधानसभा स्पीकर फाइल को घूमा रहे:कंवरलाल मीणा पर नहीं हो रहा फैसला, राहुल गांधी की सदस्यता 24 घंटे में गई थी | एमपी के मंत्री को बर्खास्त करने की मांग: कोटा में कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन | ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान से बमबारी:LoC के गांव खाली, बंकरों में छिपे लोग; बोले- हमारे घर तबाह हुए, लेकिन सबक सिखाया | पाकिस्तान की ओर से सीजफायर उल्लंघन: जम्मू-कश्मीर में रातभर भारी गोलीबारी, चार की मौत, 16 घायल |