अब से यदि कोई व्यक्ति ₹2 लाख से अधिक कैश में प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और यह लेनदेन आयकर विभाग को रिपोर्ट किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक आदेश में कहा था कि प्रॉपर्टी सेक्टर में काले धन की खपत सबसे ज्यादा होती है। इस पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया कि वे ऐसे मामलों की निगरानी करें और नकद लेनदेन की सीमा तय करें।
इसके बाद राजस्थान सरकार ने संबंधित विभागों को सख्त आदेश जारी कर दिए हैं। अब जमीन-जायदाद के सौदों में नकद लेनदेन को लेकर आयकर अधिनियम की धारा 269SS और 269T का सख्ती से पालन कराया जाएगा।
आयकर कानून के तहत, यदि कोई व्यक्ति ₹2 लाख या उससे अधिक की राशि नकद रूप में लेता या देता है, तो यह कानून का उल्लंघन माना जाएगा, और दोषी पाए जाने पर उस पर 100% तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
सरकार का मकसद साफ है—प्रॉपर्टी लेनदेन को पारदर्शी बनाना और अघोषित आय (काला धन) को सिस्टम से बाहर करना।
अब प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के समय बायर और सेलर को यह घोषणा करनी होगी कि लेनदेन में ₹2 लाख से अधिक कैश का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यदि कोई जानकारी छुपाई जाती है, तो उसे गंभीर कर चोरी माना जाएगा।
राजस्थान सरकार के इस कदम को रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे न केवल काले धन पर अंकुश लगेगा, बल्कि संपत्ति की कीमतों में भी स्थिरता आ सकती है।
राजस्थान सरकार के इस आदेश के बाद अब प्रॉपर्टी लेनदेन में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। आम नागरिकों को भी चाहिए कि वे प्रॉपर्टी खरीदते वक्त सभी लेनदेन बैंकिंग माध्यम से करें और ₹2 लाख से अधिक की नकद राशि का उपयोग करने से बचें।
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