राजस्थान : में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाल स्थिति को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को अपनी X (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में भजनलाल शर्मा सरकार पर तीखा हमला बोला। गहलोत ने सरकारी अस्पतालों में फैली अव्यवस्थाओं, रखरखाव की कमी, और भाजपा सरकार द्वारा कांग्रेस की फ्लैगशिप योजनाओं को खत्म किए जाने जैसे कई मुद्दों पर चिंता जताई।
गहलोत ने लिखा,
"हमारी कांग्रेस सरकार के समय राजस्थान देश का सबसे बेहतरीन हेल्थ मॉडल स्टेट बन गया था। लेकिन आज हालत ये है कि सरकारी अस्पतालों में न दवाएं हैं, न इलाज हो रहा है। यहां तक कि RUHS जैसे बड़े अस्पतालों में ऑपरेशन थियेटर में भी AC नहीं चल रहे।"
उन्होंने सरकार की लापरवाही को "शर्मनाक" करार देते हुए कहा कि यह सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि प्रदेश की आम जनता का सवाल है।
गहलोत ने अपने ट्वीट में कोटा मेडिकल कॉलेज की उस घटना का भी जिक्र किया जिसमें 12 अप्रैल को स्टाफ ने बेटे की जगह उसके पिता को चीर दिया था। बाद में मामले का खुलासा 16 अप्रैल को हुआ, जिससे अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया। कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. संगीता सक्सेना ने जांच कमेटी गठित कर रिपोर्ट मांगी है।
एक अन्य मामला जयपुर स्थित RUHS अस्पताल से सामने आया, जहां मरीज की सर्जरी खराब AC वाले ऑपरेशन थियेटर में की गई। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक पहुंची, जिसके बाद
कार्यवाहक अधीक्षक डॉ. महेंद्र बैनाड़ा
सहायक आचार्य डॉ. जितेंद्र पंडा
को निलंबित कर दिया गया। सामने आया कि पिछले 9 महीनों से मेंटेनेंस का भुगतान नहीं किया गया, जिससे अस्पताल के सभी AC बंद पड़े थे।
गहलोत ने भजनलाल सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने कांग्रेस शासन की 33 फ्लैगशिप योजनाओं को हटाकर जनहित की योजनाओं को खत्म कर दिया। इनमें शामिल थीं:
निरोगी राजस्थान
शुद्ध के लिए युद्ध
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना
मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना
अनुप्रति कोचिंग योजना
इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना
महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल
मुख्यमंत्री एकल नारी सम्मान पेंशन
जन सूचना पोर्टल
राजस्थान इन्वेस्टमेंट प्रमोशन स्कीम
गहलोत ने कहा कि ये योजनाएं राजनीति का विषय नहीं बल्कि जनकल्याण का प्रतीक थीं।
राजस्थान में अस्पतालों की बदहाल स्थिति और सरकारी योजनाओं के बंद होने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस प्रकार खुलकर सवाल उठाए हैं, वह आने वाले समय में राजनीतिक गर्मी को और बढ़ा सकते हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और इन गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों पर क्या कार्रवाई होती है।
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