कोटपूतली : राजस्थान सरकार द्वारा हर घर नल, हर घर जल के दावों के बीच कोटपूतली के लक्ष्मी नगर इलाके की तस्वीर इन दावों को पूरी तरह झुठला रही है। इलाके में चार साल से चल रहा जल संकट अब विकराल रूप ले चुका है। संस्कृत स्कूल के पीछे बसे दर्जनों परिवार पानी की एक-एक बूंद के लिए जूझ रहे हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले चार वर्षों से सिर्फ वादे हो रहे हैं, समाधान नहीं। लोग थक चुके हैं अधिकारियों के चक्कर लगाकर। आखिरकार तंग आकर लोगों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और सरकार व प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
लोग निजी टैंकरों से पानी खरीदने को मजबूर हैं।
एक टैंकर की कीमत 500 रुपए तक पहुंच चुकी है।
मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों के लिए यह खर्च असहनीय हो गया है।
महिलाएं कहती हैं कि बच्चों और बुजुर्गों की प्यास अब असहनीय हो चुकी है।
राज्य सरकार की जल जीवन मिशन योजना के तहत करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं, लेकिन लक्ष्मी नगर जैसे इलाकों में आज भी पानी की बूंद-बूंद को तरसना पड़ रहा है। यह सीधे तौर पर सरकारी नीतियों और प्रशासन की विफलता को उजागर करता है।
स्थानीय लोग कहते हैं कि अगर प्रशासन कम से कम एक ट्यूबवेल या बोरवेल लगवा दे, तो इस गंभीर संकट से बड़ी राहत मिल सकती है। लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं।
क्या स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारी इस पीड़ा को महसूस करेंगे? या फिर कोटपूतली के लोग हर साल इसी तरह गर्मियों में बूंद-बूंद पानी के लिए भटकते रहेंगे?
कोटपूतली के लक्ष्मी नगर की यह स्थिति बताती है कि योजनाएं कागजों में और जमीनी हकीकत में बड़ा फासला है। सरकार को चाहिए कि वह सिर्फ घोषणाएं न करे, बल्कि वास्तविक कार्रवाई कर पीड़ितों को राहत पहुंचाए। वरना जनता का धैर्य अब जवाब दे रहा है —
"पानी नहीं, तो चैन नहीं!"
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