अजमेर : राजस्थान के अजमेर स्थित मशहूर अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर शिव मंदिर होने के दावे पर आज सिविल कोर्ट में अहम सुनवाई होने वाली है। इस बीच अंजुमन सैयद ज़गदान कमेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सिविल कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर 2023 के आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें धार्मिक स्थलों से जुड़े नए मुकदमों पर रोक लगाई गई थी।
सितंबर 2024 में वकील विष्णु गुप्ता ने अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए याचिका दाखिल की थी। इस पर नवंबर 2024 से सिविल कोर्ट में सुनवाई चल रही है। याचिका के मुताबिक, दरगाह स्थल प्राचीन काल में हिंदू मंदिर था।
अंजुमन कमिटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि:
"सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत धार्मिक स्थलों की स्थिति को जस की तस बनाए रखने का निर्देश दिया है। जब तक सर्वोच्च न्यायालय इस मामले पर फैसला नहीं देता, तब तक निचली अदालतों में ऐसी सुनवाई नहीं होनी चाहिए।"
हाईकोर्ट की जस्टिस विनोद कुमार भरवानी की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की और अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद तय की है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आशीष सिंह और वागीश कुमार ने पक्ष रखा।
वहीं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा:
"अंजुमन कमिटी इस मामले की पक्षकार नहीं है, इसलिए उनके पास हाईकोर्ट आने का अधिकार नहीं है।"
राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता अखिल चौधरी ने कहा:
"सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले भले ही यह सुनवाई शुरू हुई हो, लेकिन हाईकोर्ट चाहे तो इसे रोक सकता है। कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप कर Places of Worship Act 1991 की भावना के अनुरूप आदेश दे सकता है।"
अंजुमन कमिटी का कहना है कि:
अजमेर दरगाह में सभी धर्मों की आस्था जुड़ी रही है।
शिवाजी महाराज के पोते राजा साहू से लेकर जयपुर के महाराजा और सिंधिया राजघरानों तक का दरगाह से गहरा रिश्ता रहा है।
यह दावा पूरी तरह बेबुनियाद और भ्रामक है।
इस साल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से चादर दरगाह पर चढ़ाई गई, जिसे मंत्री किरण रिजिजू लेकर पहुंचे थे।
इस पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा:
"हम किसी को जवाब देने के लिए नहीं आए, बल्कि देश में भाईचारा और सौहार्द का संदेश लेकर आए हैं।"
अगर हाईकोर्ट कार्यवाही पर रोक लगाता है, तो यह देशभर में चल रहे ऐसे मुकदमों के लिए नजीर बन सकता है।
अगर सिविल कोर्ट सुनवाई जारी रखता है, तो इस पर सुप्रीम कोर्ट से भी हस्तक्षेप की संभावना बन सकती है।
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